Thursday 11 June 2015

मुंहतोड़ जवाब म्यांमार में घुसकर उग्रवादियों को मारा

मणिपुर में सेना के काफिले पर हमला करने वाले उग्रवादियों को भारतीय सेना ने उन्हीं की जुबान में तगड़ा जवाब दिया है। भारतीय सेना ने मंगलवार सुबह म्यांमार की सीमा में घुसकर मणिपुर हमले के जिम्मेदार लगभग 20 उग्रवादियों को मार गिराया। सेना के विशेष बल ने म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के दो अड्डे ध्वस्त कर दिए। म्यांमार सरकार के समन्वय से सेना की इस कार्रवाई का हम स्वागत करते हैं। यह पहला मौका था जब भारत ने कास बार्डर आपरेशन के जरिए ऐसी कार्रवाई की हो। सेना के कंमाडो ने यह कार्रवाई एक विशेष सूचना के आधार पर म्यांमार अफसरों से तालमेल बैठाकर की। उग्रवादियों को सबक सिखाने वाली इस कार्रवाई के लिए सेना और सरकार बधाई की पात्र है। सैनिकों और देशवासियों के मनोबल को ऊंचा बनाए रखने के लिए ऐसी कार्रवाई आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी थी। इस कार्रवाई के मामले में उल्लेखनीय यह भी है कि भारतीय सेना को म्यांमार सरकार का पूरा सहयोग मिला। अतिरिक्त सैन्य अभियान महानिदेशक मेजर जनरल रणवीर सिंह ने बताया, नागालैंड और मणिपुर सीमा के निकट तड़के सेना ने अपना अभियान चलाया। सेना को पक्की सूचना मिली थी कि ये उग्रवादी भारतीय क्षेत्र में फिर से हमले की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा हमने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है। फलस्वरूप हमारे नागरिकों एवं सुरक्षा बलों के लिए खतरा टल गया है। आपरेशन में सेना का कोई जवान जख्मी नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर में दो दर्जन उग्रवादी संगठन सकिय हैं और उनमें से ज्यादातर ने म्यांमार के कामीन पांत में ट्रेनिंग कैंप और बेस बना रखा है। यह पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति की सफलता ही है कि पड़ोसी देश की सरकारें उग्रवादियों को खत्म करने में हमारा समर्थन कर रहीं हैं। उग्रवादियों और अलगाववादियों को यह सख्त संदेश देने की जरूरत है कि वह बंदूकों के बल पर अपनी मांगें नहीं मनवा सकते हैं और समस्याओं के समाधान का रास्ता बातचीत ही है। उग्रवादियों के सफाए के मामले में बांग्लादेश और म्यांमार तो भारत का सहयोग करने में लगे हुए हैं लेकिन चीन का रवैया चिंतित करने वाला है। वह अपने हितों की रक्षा के पति तो जरूरत से ज्यादा संवेदनशील है लेकिन भारतीय हितों की रक्षा के सवाल पर उसकी ओर से न्यूनतम संवेदनशीलता का भी परिचय नहीं दिखाया जाता, यह अच्छा हुआ कि मोदी ने बांग्लादेश के दौरे में उसका नाम लेकर खरी-खोटी सुनाई। ऐसी ही कार्रवाई पाकिस्तानी सीमा पर भी करने की सख्त जरूरत है। यह स्पष्ट संकेत देना होगा कि भारत इस पकार की छापामार सैनिक कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगा। जब सेना म्यांमार में जाकर उग्रवादियों के दो बेसों को उड़ा सकती है तो पाक अधिकृत कश्मीर के आतंकी शिविरों को तहस-नहस क्यों नहीं कर सकती? सेना को इस कार्रवाई के लिए बधाई।

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