Wednesday, 3 June 2015

वन रैंक-वन पेंशन का पेचीदा मामला

वन रैंक-वन पेंशन का मसला चुनावों के मौके पर गर्म हो जाता है और बाद में सरकार टालमटोल करने लगती है। लेकिन इस बार पूर्व सैनिकों ने एनडीए सरकार से सीधा सवाल पूछा है कि चुनावी भाषणों में जो वादे किए थे क्या वे केवल वोट के लिए किए थे? पचार के दौरान सिर्फ एनडीए ने ही नहीं बल्कि यूपीए के नेताओं ने भी वन रैंक-वन पेंशन पर बढ़-चढ़ कर वादे किए थे। पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस आशय का वादा किया था लेकिन एक साल बाद भी कुछ नहीं होने पर पूर्व सैनिकों में बहुत गुस्सा है। पूर्व सैनिकों ने इस संबंध में एक पक्की सीमा बताए जाने की मांग की है। पहले बता दें कि वन रैंक-वन पेंशन आखिर है क्या? वन रैंक-वन पेंशन का मतलब है कि कोई भी सैनिक किसी भी साल रिटायर हुआ हो, उसे मौजूदा वक्त में रिटायर हुए सैनिक के समान पेंशन मिलनी चाहिए लेकिन फिलहाल 1995 में रिटायर हुए एक मेजर जनरल को 30, 350 रुपए पेंशन मिलती है वहीं 2006 के बाद रिटायर हुए मेजर जनरल को पेंशन 38,500 रुपए है। इसी तरह 2003 में रिटायर हुए एक कर्नल की पेंशन 26,150 रुपए है जबकि इस साल रिटायर हुए कर्नल की पेंशन 34,000 रुपए होगी। छह साल पहले सुपीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि पूर्व सैनिकों के लिए वन रैंक-वन पेंशन का सिद्धांत लागू किया जाए। इस साल फरवरी में सुपीम कोर्ट ने फिर कहा कि तीन महीने के भीतर यदि  वन रैंक-वन पेंशन लागू नहीं हुई तो इसका मतलब अदालत की अवमानना होगी। देशभर में तकरीबन 25 लाख पूर्व सैनिक हैं। इसे लागू करने में सलाना अतिरिक्त खर्च 8300 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा। संसदीय चुनावों से पहले यूपीए सरकार द्वारा पेश बजट में सरकार ने इस योजना को लागू करने की घोषणा की थी। लेकिन इसके लिए केवल 500 करोड़ रुपए ही आवंटित किए जिससे बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान नहीं हो सकता था। अब मौजूदा रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा है कि उनके मंत्रालय ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और इसे लागू किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस योजना की समीक्षा वित्त मंत्रालय कर रहा है। 8300 करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च से सरकार का रक्षा बजट असंतुलित होने लगेगा। सरकार की परेशानी यह है कि इतनी अधिक राशि का इंतजाम कहां से करे? पधानमंत्री ने पूर्व सैनिकों से धैर्य रखने की अपील की है और इस पर अमल करने के लिए मोहलत मांगी है। रेडियो पर मन की बात कार्यकम में मोदी ने कहा कि उन्होंने खुद इस योजना को लागू करने का जवानों से वादा किया था। अब यह जिम्मेदारी सरकार की है और हम जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे। इस मसले को लेकर सरकार पर हमलावर विपक्ष पर पलटवार करते हुए पीएम ने कहा कि राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले अपना काम करते रहें, सरकार सैनिकों के हित में काम करती रहेगी। पिछले 40 सालों में इसमें केवल समस्याएं ही जोड़ी गई। बीते 40 साल में इस मामले को बेहद पेचीदा बना दिया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि वह इस मामले को जितना आसान मानते थे वह उतना है नहीं। नाराज पूर्व सैनिकों ने योजना में देरी को लेकर 14 जून के अपने पस्तावित विरोध पदर्शन को जारी रखने की बात कही है। 

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