Sunday, 7 June 2015

उबर और ओला कैब कंपनियों पर प्रतिबंध

ऑनलाइन टैक्सी सेवा प्रदान करने वाली अमेरिकी कंपनी उबर और ओला एक बार फिर विवादों में फंस गई है। उबर कंपनी कैब चालक पर सेक्टर-10 की एक मीडिया कंपनी में कार्यरत दिल्ली की युवती से बदसलूकी का मामला सामने आया है। लाजपत नगर से गत मंगलवार शाम युवती ने नोएडा सेक्टर-10 से अपने कार्यालय जाने के लिए उबर कंपनी से कैब मंगाई थी। चालक रमेश राव कैब लेकर आया। चालक ने युवती के कहने के बाद एसी तो चलाया लेकिन उसे काफी धीमा रखा। रास्ते में युवती के कहने के बावजूद चालक ने एसी को तेज नहीं किया। युवती को दमे की परेशानी है। चालक से एसी तेज चलाने को कहा तो उसने अभद्र व्यवहार किया। दिल्ली पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली। प्रतिबंध के बावजूद अनाधिकृत ओला, उबर और टैक्सी स्योर कंपनी के सीईओ के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस अब कानूनी कार्रवाई करेगी। ट्रैफिक पुलिस ने 158 टैक्सियों का चालान किया है और 120 गाड़ियां जब्त कर ली हैं। इधर दिल्ली सरकार ने उबर और ओला को लाइसेंस देने से मना कर दिया है। पिछले साल दिसम्बर में उबर कैब चालक द्वारा दुष्कर्म की घटना के बाद कैब परिचालन में खामियां पाई गई थीं। इसके मद्देनजर परिवहन विभाग ने दिल्ली में उबर और ओला पर नया आदेश जारी होने तक प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद इन कंपनियों ने नई शर्तों के तहत लाइसेंस हासिल करने के लिए परिवहन विभाग में आवेदन किया था। उबर कैब चालकों द्वारा छेड़छाड़ के दो मामले सामने आने पर दिल्ली सरकार ने इनके एप को बंद करने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी। बुधवार को इन कंपनियों के आवेदन को रद्द करने का निर्देश दिया। उबर और ओला की कैब के चोरी-छिपे सड़कों पर चलने की शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए लाइसेंस देने से इंकार कर दिया है। उधर दिल्ली हाई कोर्ट में उबर को एक बार फिर झटका लगा है। अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में नियमित करने संबंधी दायर याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। आरोप है कि सरकार द्वारा किए गए मौजूदा मानदंडों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर चला रही है। न्यायमूर्ति युक्ता गुप्ता व न्यायमूर्ति वीपी बैरा की खंडपीठ ने उबर की ओर से पेश वकील के उस तर्प को खारिज कर दिया कि राजधानी में चल रही उबर पर एक बार फिर प्रतिबंध लगा दिया गया है। खंडपीठ ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर याचिका मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के पास विचाराधीन है। ऐसे में इस याचिका पर तुरन्त सुनवाई का कोई आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हर घटना के तुरन्त बाद आप यहां आ जाएं। खंडपीठ ने उबर के अधिवक्ता के उस तर्प को भी खारिज कर दिया कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग पिछले वर्ष दिसम्बर माह में तय दिशानिर्देश का पालन न करने पर प्रतिबंध लगा रहा है। उन्होंने कहा कि कैब को नियमित करने का निर्देश दिया जाए। दरअसल पांच दिसम्बर 2014 की रात में 27 वर्षीय महिला से उबर कैब के चालक द्वारा बलात्कार किए जाने की कथित घटना के बाद प्रतिबंध लगाया गया था।

-अनिल नरेन्द्र

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