Saturday, 13 June 2015

सिसोदिया के एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर लगाम

केंद्र सरकार ने संदिग्ध गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के खिलाफ अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के संगठन कबीर समेत 4470 संगठनों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत की गई इस कार्रवाई के बाद से एनजीओ अब विदेशों से धन हासिल नहीं कर सकेंगे। इन एनजीओ में शीर्ष विश्वविद्यालय, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट शामिल हैं। गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत इन एनजीओ की गतिविधियों की जांच के बाद इनके पंजीकरण को रद्द करने का फैसला लिया है। इन एनजीओ ने कथित रूप से अपनी वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं की थी और इनकी अन्य गतिविधियों में भी अनियमितता पाई गई थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभी एनजीओ को गृह मंत्रालय के विदेश विभाग द्वारा नोटिस भेजा गया था और लाइसेंस रद्द किए जाने से पहले सभी को जवाब देने के लिए पर्याप्त वक्त भी दिया गया था। जिन प्रमुख संगठनों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं उनमें पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गार्गी कॉलेज दिल्ली, लेडी इरविन कॉलेज दिल्ली, विक्रम साराभाई फाउंडेशन भी शामिल हैं। अप्रैल में करीब 9000 एनजीओ पर विदेशों से चन्दा लेने पर रोक लगाई गई थी। उल्लेखनीय है कि इसी साल जनवरी में ग्रीन पीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लै को नई दिल्ली एयरपोर्ट से लंदन जाने वाले विमान पर सवार होने से रोक दिया गया था। वह ब्रिटिश संसद को संबोधित करने जा रही थी। हालांकि गृह मंत्रालय के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने बाद में बदल दिया था। इसके बाद केंद्रीय सरकार ने अप्रैल में अमेरिकी संगठन फोर्ड फाउंडेशन की रकम से संचालित ग्रीन पीस के भारतीय बैंकों के सभी खातों को सील कर दिया था। इस पर्यावरण संगठन को अंतरिम राहत अदालत से ही मिली थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने ग्रीन पीस इंडिया को राहत देते हुए उसे रोजाना के कामों के लिए डोमैस्टिक डोनेशन लेने की इजाजत दी है। इसके लिए ग्रीन पीस के दो अकाउंट्स हैं। अदालत ने कहा कि यह एनजीओ घरेलू चन्दे के लिए इन दो एकाउंट्स का इस्तेमाल कर सकता है। अदालत ने सरकार से कहा कि एनजीओ के फंड के लिए उनका गला नहीं घोंट सकते।  हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शकधर की बैंच ने एनजीओ ग्रीन पीस को इस बात की भी इजाजत दी कि वह अपने टर्म डिपाजिट का इस्तेमाल कर सकता है। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह एफसीआरए के नियम के तहत आठ हफ्ते में फैसला ले। रकम के 25 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल सरकार की मंजूरी से किया जा सकता है। कई एनजीओ पर आरोप लगा है कि वह विदेशों से आए फंडों का दुरुपयोग करते हैं। सामाजिक कार्य न करके इस राशि का राजनीतिक कामों में इस्तेमाल होता है। इसे रोकने के लिए ही सरकार ने यह सख्त कदम उठाए हैं।
-अनिल नरेन्द्र


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