Tuesday 30 June 2015

पद एक प्रमुख दो-दो टकराव तो होना ही है

देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल व केंद्र के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा है। एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जो पहले कभी नहीं हुई। मामला एक पद पर दो-दो प्रमुखों का है। दोनों अपने-अपने अस्तित्व को लेकर आमने-सामने हैं। खास बात यह है कि ये दोनों अधिकारी दिल्ली पुलिस के ही हैं, एक आम आदमी पार्टी नामित एंटी करप्शन ब्यूरो के प्रमुख हैं तो दूसरा उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा नियुक्त एंटी करप्शन ब्रांच के प्रमुख हैं। आम आदमी पार्टी ने जहां एसएस यादव को एंटी करप्शन ब्यूरो का प्रमुख बनाया है वहीं उपराज्यपाल ने मुकेश कुमार मीणा को नियुक्त किया है। इस घटना को सिलसिलेवार ढंग से देखा जाए तो थोड़ी-बहुत वस्तुस्थिति साफ हो सकती है। आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच जारी राजनीतिक लड़ाई के बीच आप द्वारा नामित एसीबी प्रमुख एसएस यादव ने उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त प्रमुख एमके मीणा पर धमकी देने एवं दबाव डालनने और एसीबी के कामकाज को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। सूत्रों के मुताबिक पहले एसएचओ ने यादव से एफआईआर बुक मांगी और यह समझाने की कोशिश की कि यह रजिस्टर उसी के पास होना चाहिए किन्तु यादव ने उसे डांट कर भगा दिया। इसके बाद संयुक्त आयुक्त मीणा यादव के कार्यालय गए और उनसे एफआईआर बुक मांगी जिसके बाद दोनों में तीखी नोंकझोंक हुई क्योंकि यादव ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। इसी बीच पता चला है कि मीणा ने यादव को एक नोटिस भेजकर कहा है कि अगर वह प्राथमिकी रजिस्टर उपलब्ध नहीं कराते तो इसके कानूनी प्रभाव पड़ सकते हैं। एसएस यादव ने धमकी का भी आरोप लगाया है। यादव ने 24 जून को सतर्पता सचिव व निदेशक को लिखी चिट्ठी में एसके मीणा द्वारा अवैध रूप से एसीबी दफ्तर में कब्जा करके बैठने का जिक्र किया है। मीणा ने सीआरपीएफ के सशस्त्र जवानों को अपने कार्यालय में तैनात जो कर रखा है वह यादव के अनुसार अवैध है। यादव ने पत्र में यह भी लिखा है कि उन्होंने कार्य में बाधा पहुंचाने और जान को खतरा होने की शिकायत उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस आयुक्त से भी की है। दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को इस चलते टकराव पर चर्चा हुई। विधायक अल्का लाम्बा और राजेश गुप्ता ने नियम 107 के तहत सदन में यह मुद्दा उठाया। इन्होंने कहा कि ईमानदारी से अपना काम कर रहे एसीबी प्रमुख के ऊपर बड़े अधिकारी नियुक्त उपराज्यपाल ने कर दी है जबकि जिस अधिकारी की नियुक्ति की गई है उसके ऊपर ट्रेनिंग स्कूल के लिए खरीददारी पर्दे घोटाले व हवाला कारोबार से जुड़े होने के आरोप है। दिल्ली सरकार ने अब इस मामले को लेकर हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। मजे की बात तो यह है कि विधानसभा में संयुक्त आयुक्त मीणा के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने के बाद आप सरकार ने उनकी नियुक्ति को अवैध ठहराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोर्ट ने मीणा की नियुक्ति को न सिर्प अवैध ठहराने से मना कर दिया बल्कि उन्हें एसीबी के प्रमुख के तौर पर कार्य करते रहने की अनुमति भी दे दी। सुनवाई की अगली तिथि 11 अगस्त को निर्धारित की गई है। इस बीच केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके कोर्ट ने इस संबंध में उसका पक्ष जानने की कोशिश की है। जहां तक नियुक्ति का सवाल है इस सन्दर्भ में तो अपना स्पष्ट मत है कि कोर्ट से आप सरकार को किसी तरह की राहत मिल पाना संभव नहीं है किन्तु चूंकि एसीबी को दिल्ली सरकार के तहत ही कार्य करना होता है इसलिए मौजूदा व्यवस्था में एसीबी को सुचारू रूप से चलाना आसान नहीं होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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