Saturday, 6 June 2015

पाकिस्तान मसलों के शांतिपूर्ण हल में विश्वास नहीं रखता

हमें तो यह लगता है कि पाकिस्तान भारत के साथ तनाव बढ़ाने पर तुला हुआ है। ताजा मिसाल है पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल रहील शरीफ का बयान कि कश्मीर (भारत के 1947 में हुए) विभाजन का अपूर्ण एजेंडा है। बुधवार को जनरल रहील शरीफ ने भारत का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग पाक में अशांति फैलाने में लगे हुए हैं। यही नहीं, पाकिस्तान ने पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में आठ जून को गिलगित, बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने की घोषणा भी की है। भारत की स्थिति से सब वाकिफ हैं। गिलगित और बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू एवं कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है। फिर भी गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नमेंट ऑर्डर के जरिए वहां होने वाला चुनाव पाकिस्तान द्वारा क्षेत्र में जबरन और कब्जे को सही ठहराने का प्रयास है। गिलगित, बाल्टिस्तान पर भारत की आपत्ति उचित भी है और कूटनीतिक जरूरत भी। यहां पाक का अवैध नियंत्रण है। संयुक्त राष्ट्र भी यही मानता है पर पाकिस्तान ऐसे कदम उठाता रहा है जिससे भारत को कूटनीतिक चुनौती दे और यूएन को धत्ता बताए। अहम यह है कि क्या भारत पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई करा पाएगा? गिलगित-बाल्टिस्तान को पहले पाक में नॉर्दर्न एरिया कहा जाता था। इसकी सीमाएं पाक, चीन, अफगानिस्तान से लगती हैं। यहां पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे। संयुक्त राष्ट्र भी इसे विवादित क्षेत्र मानता है। पाकिस्तान इसे अलग प्रशासनिक राज्य बनाने की कोशिश कर रहा है। जनरल रहील शरीफ के बयान को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान की प्रतिक्रिया भी माना जा सकता है। पिछले रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान से वार्ता की शर्तें बताई थीं। उन्होंने कहा भारत पाकिस्तान के साथ हर विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत से हल करना चाहता है, लेकिन वार्ता सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच होनी चाहिए (यानि इसमें कोई तीसरा पक्ष नहीं होना चाहिए) उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत से पहले हिंसा और आतंकवाद से दूर रहते हुए पाकिस्तान को उसके अनुकूल वातावरण बनाना होगा। अगर पाकिस्तान ईमानदारी से बेहतर संबंध बनाना चाहता होता तो वह इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जताता। मगर वहां से जवाब सेनाध्यक्ष के जरिए आया जिसमें वही घिसा-पिटा जुमला दोहराया गया जो असल में भारत-पाकिस्तान के बीच अतीत में हुए चार युद्धों और लगातार जारी तनावपूर्ण संबंधों की जड़ में रहा है। भारत और पाकिस्तान का जब बंटवारा हुआ था तो जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने भारत में मिलने का फैसला किया था। उसके बाद जम्मू-कश्मीर की अवाम ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनकर लगातार भारतीय संविधान में अपनी आस्था जताई तो फिर पाकिस्तान को क्यों लगता है कश्मीर उसका हिस्सा है। यही नहीं, पाक अधिकृत कश्मीर का एक हिस्सा उसने चीन को दान दे दिया। आज पाकिस्तान और चीन पक्के दोस्त बने हुए हैं। पाकिस्तान शांतिपूर्ण मसलों को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता और समय-समय पर उलटे-सीधे बयान देकर तनाव बरकरार रखना चाहता है।

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