Sunday, 28 June 2015

विवाद इमामबाड़ों पर लगे ताले खुलवाने का

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आसिफी इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा पर जड़े गए तालों पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने तालों को तत्काल खोलने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है कि जिलाधिकारी खुद तत्काल ताला खुलवाना सुनिश्चित करें। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। जस्टिस अरुण टंडन और जस्टिस अनिल कुमार की पीठ ने कहा कि जनता को तालाबंदी करने का कोई अधिकार नहीं है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि लखनऊ के जिलाधिकारी इमामबाड़ों से तत्काल ताले हटवाएं और वह खुद सुनिश्चित करें कि यह काम पूरा हो। आदेश में कहा गया कि इमामबाड़े पर्यटकों के लिए उसी तरह खुले रहने चाहिए जैसे तालाबंदी से पहले थे। इस सम्पत्ति का प्रबंधन करने वालों, जिलाधिकारी और अन्य संबंधित लोगों को सुनिश्चित करना होगा कि इमामबाड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। वहीं पर्यटकों को इमामबाड़ों में आने-जाने में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। इससे पहले पीआईएल पर हाई कोर्ट ने मौलाना कल्बे जव्वाद और हुसैनाबाद ट्रस्ट को नोटिस जारी करके पूछा था कि उन्होंने किस अधिकार अथवा आदेश से इमामबाड़ों पर तालाबंदी की है। जवाब में मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा था कि यह तालाबंदी पब्लिक ने की है। लखनऊ के ऐतिहासिक इमामबाड़ों पर डाले गए ताले खुलवाने के आदेश को नहीं मानने के प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के ऐलान के बाद जिला प्रशासन और आंदोलनकारी शिया समुदाय के बीच गतिरोध और गहरा गया है। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी को हटाए जाने को लेकर जारी आंदोलन की अगुवाई कर रहे प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने जिला प्रशासन पर अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने और विरोधस्वरूप इमामबाड़ों पर डाले गए ताले न खोलने का फैसला किया है। कल्बे जव्वाद ने इमामबाड़ों पर पड़े ताले न खोलने से अदालत की अवमानना होने संबंधी सवाल पर कहा कि वह अदालत का पूरा सम्मान करते हैं लेकिन उसे इमामबाड़ों को सार्वजनिक सम्पत्ति बताकर गुमराह किया गया है जबकि वे इमारतें धार्मिक स्थल हैं। उन्होंने कहा कि रहा सवाल अदालत की अवमानना का तो यह कार्रवाई पहले तो लखनऊ के जिलाधिकारी राजशेखर पर होनी चाहिए जिन्होंने हैदर अब्बास को इमामबाड़ों की देखरेख करने वाले हुसैनाबाद ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाने समेत अदालत के कई आदेशों का अनुपालन अब तक नहीं किया है। जव्वाद ने कहा कि भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण कानून में इमामबाड़ों के धार्मिक मुखिया को ही उनके परिसर में होने वाली गतिविधियों के बारे में फैसला करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की अवकाशकालीन खंडपीठ ने उक्त आदेश मसर्रत हुसैन की याचिका पर दिया है। प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी को उनके पद से हटाने की मांग को लेकर शिया समुदाय के लोगों ने प्रसिद्ध इमामबाड़ों पर पांच जून से ताला लगा रखा है। मौलाना जव्वाद ने रिजवी को हटाने की मांग संबंधी आंदोलन रमजान के बाद और तेज करने की घोषणा भी की है।

-अनिल नरेन्द्र

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