Saturday, 20 June 2015

थोक महंगाई दर घटी पर महंगाई कम नहीं हुई

हालांकि थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर लगातार सातवें महीने शून्य से नीचे रही पर मार्केट में सब्जियों, अनाज के दाम कम नहीं हुए हैं। मई 2015 में यह शून्य से 2.34 फीसदी नीचे रही। लेकिन जिस तरह से दालों और प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है वह सरकार के लिए चिन्ता का विषय जरूर होना चाहिए। यदि मोदी सरकार के कार्यकाल की बात करें तो महंगाई की दर 2014 (मई) की दर 6.18 फीसदी थी। महंगाई कम होने का एक कारण पेट्रोल व डीजल समेत ईंधन एवं ऊर्जा वर्ग में गिरावट के कारण आई। विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले महीनों में थोक महंगाई मानसून पर निर्भर करेगी। मौसम विभाग ने औसत से 12 फीसदी कम बारिश की आशंका व्यक्त की है। हालांकि इसकी शुरुआत सामान्य से ज्यादा हुई है। दालों की कीमतों और खुदरा महंगाई में लगातार वृद्धि हो रही है। चिन्ता का विषय यह भी है कि दाल उत्पादन वाले इलाकों में कम बारिश के आसार हैं। वैसे भी इन इलाकों में सिंचाई की सुविधाओं का अभाव है। देश में पिछले साल 184 लाख टन दाल का उत्पादन हुआ था। लेकिन सालाना खपत 210-220 लाख टन की है। इस कमी को दालों का आयात करके पूरा किया गया। बीते वर्ष 34 लाख टन दाल का आयात हुआ। इस वर्ष दाल उत्पादन वाले इलाकों में मानसून को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में इनके दाम आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बीते माह ईंधन एवं ऊर्जा समूह की वस्तुओं के दाम 10.51 फीसदी गिर गए। पेट्रोल में 11.29 फीसदी तथा डीजल में 11.62 फीसदी गिरावट आई। एलपीजी के दाम 5.18 फीसदी कम रहे। सूचकांक में 64.97 फीसदी वेटेज रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग पदार्थों के दामों में 0.64 फीसदी गिरावट आई। दाल, प्याज के अलावा मीट, अंडा, फलों और दूध जैसे प्रोटीनयुक्त उत्पादों की कीमतों में तेजी का रुख है। जानकारों का कहना है कि सरकार को अब इन उत्पादों की आपूर्ति पक्ष पर ध्यान देना चाहिए ताकि देर होने से पहले ही इनकी महंगाई पर लगाम लगाई जा सके। दाल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने हाल ही में कदम उठाए हैं। इसके बावजूद खाद्य पदार्थों की कीमतों में 3.80 फीसदी का इजाफा हुआ है। सीआईआई के महासचिव का कहना है कि खाद्य उत्पादों में तीन-चार फीसदी का इजाफा चिन्ता की बात नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि महंगाई की दर में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं होगा। ऐसे में रिजर्व बैंक को ब्याज दरों को घटाने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि महंगाई की दर केंद्रीय बैंक के लक्ष्यों के मुताबिक ही है। फिक्की की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी का कहना है कि मानसून के सामान्य से कम रहने का खतरा तो है लेकिन सरकार ने जिस तरह से इससे निपटने का खाका तैयार किया है उससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले महीनों में महंगाई ज्यादा नहीं बढ़ेगी। हम भी यही उम्मीद करते हैं कि महंगाई पर नियंत्रण रखा जाए।

-अनिल नरेन्द्र

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