तीन दशक के बाद भारतीय सेना ने म्यांमार में जिस दिलेरी
से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया वह अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। 45 मिनट में पूरा ऑपरेशन खत्म करने में
हमारी सेना की कुशलता, क्षमता और समन्वय का नायाब नमूना सामने
आया है। इसका यह मतलब भी निकाला जा सकता है कि हमारी सेना जवाबी कार्रवाई करने में
हर तरह से सक्षम है, कमी रही तो सरकार की इच्छाशक्ति की। इस अत्यंत
सफल ऑपरेशन से पाकिस्तान में हड़कम्प मचना स्वाभाविक है। पाकिस्तान के नेताओं की ओर
से जैसे बयान सामने आ रहे हैं वे चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत को ही चरितार्थ
कर रहे हैं। भारत की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया जिस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
अपेक्षित होती, लेकिन ऐसा लगता है कि उसने म्यांमार में की गई
सैन्य कार्रवाई से निकले संदेश को समझने में देरी नहीं की। संभवत पाकिस्तान में यह
देखकर सिरहन है कि भारत अब सिर्प प्रतिक्रिया नहीं बल्कि पहल करने की रणनीति पर चल
चुका है। पिछले कुछ दशकों में यदि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद के सहारे छद्म युद्ध छेड़कर
भारत को लहूलुहान करने में कामयाब रहा है इसकी बड़ी वजह उसका यह भरोसा भी रहा है कि
भारत किसी आतंकी कार्रवाई के बाद सीमित और संयमित प्रतिक्रिया ही देगा। यूपीए-2
सरकार के समय में ज्यादातर मौकों पर देखा भी गया कि बड़े आतंकी हमलों
के बाद भारत ने अधिक से अधिक वार्ता स्थगित कर दीं। क्रिकेट संबंध तोड़ लिए लेकिन ऐसी
कारगर कार्रवाई नहीं हुई जिसके जरिए षड्यंत्रकारियों या दोषियों को दंडित किया गया
हो। एक तरह से यह अच्छा ही हुआ कि पाक ने परोक्ष रूप से यह मान लिया कि वह भारत में
ऐसा कुछ कर रहा है जिसके लिए उसे जवाबदेह भी होना पड़ा सकता है और म्यांमार सरीखे की
कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है। पूर्वोत्तर में भारतीय सेना के ताजा ऑपरेशन
से संदेश निकलता है कि भारत अब खतरे का इंतजार नहीं करेगा बल्कि उसे उसके मूल पर जाकर
समाप्त करेगा। पाकिस्तान में जैसी प्रतिक्रिया हुई है वह भय, हताशा और पुंठा का मिश्रण लगती है। यदि पाकिस्तान वाकई भारत के विरुद्ध आतंकवाद
को एक रणनीति के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर रहा होता तो उसकी ओर से ऐसी प्रतिक्रिया की
कोई वजह नहीं थी। लेकिन जिस तरह पाकिस्तानी नेताओं की ओर से बयान आ रहे हैं कि पाकिस्तान
म्यांमार नहीं है, उसका अर्थ यही है कि भारत वहां चल रहे आतंकी
अड्डों और आतंकी तंज पर निगाह डालने की जुर्रत न करे। बेहतर होगा कि ऐसी धमकियां देने
और बौखलाहट के बजाय पाकिस्तान यह समझे कि उसकी शत्रुतापूर्ण गतिविधियों और आतंकवाद
का निशाना बनते रहे भारत का धैर्य अब टूटने लगा है। निसंदेह म्यांमार की तरह पाकिस्तान
में सैन्य कार्रवाई करना जोखिम भरा है, लेकिन इसे नामुमकिन भी
मानकर नहीं चला जाना चाहिए। भारत को ऐसे संकेत देते रहने चाहिए कि उसके सब्र का पैमाना
छलका तो कुछ भी कर सकता है। इस ताजा कार्रवाई ने जाहिर कर दिया है कि वह चीन और पाकिस्तान
समेत आतंक के सभी आकाओं से हिसाब लेने को तैयार है। म्यांमार के सहयोगी रुख ने भारत
की सफल विदेश नीति पर मुहर लगाई है।
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