Friday, 26 June 2015

मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की

भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार विवादों में घिरती जा रही है। पार्टी में असंतोष भी बढ़ता जा रहा है। ललित मोदी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी के बड़े नेता भले ही इस मामले को ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बयानबाजी थम नहीं रही है। भाजपा सांसद व पूर्व गृह सचिव आरके सिंह ने ललित मोदी को भगोड़ा करार देते हुए उनकी मदद करने वाले नेताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सिंह ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम लिए बगैर दो टूक कहा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी भगोड़े की मदद करता है या उससे मिलता है तो यह कानूनी और नैतिक दोनों तरह से गलत है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, गृहमंत्री राजनाथ सिंह व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के खुलकर सुषमा व वसुंधरा का पक्ष लेने के बाद भी भाजपा सांसद आरके सिंह के बयान से साफ हो गया है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। सिंह के बयान को भाजपा सांसद कीर्ति आजाद के बयान की प्रतिक्रिया माना जा रहा है। आजाद ने सुषमा स्वराज के पक्ष में खड़े होकर आस्तीन के सांप होने का बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। अब सिंह ने इसके उलट सुषमा और वसुंधरा पर निशाना साधा है। दोनों बिहार से सांसद हैं। इसका सीधा असर बिहार में विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। पिछले दिनों श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने चेतावनी दी थी कि आपातकाल का खतरा अभी टला नहीं है। अब भाजपा के सीनियर नेता यशवंत सिन्हा ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला बोल दिया है। इनसे मंगलवार देर रात एक कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कामकाज की तुलना पर सवाल पूछे गए थे। उन्होंने केंद्र में मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर कहा, पहले भारत बनाओ, बाकी खुद हो जाएगा। श्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि भाजपा में जो भी 75 साल से ज्यादा की उम्र के थे, उन सभी को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है। मैं भी पार्टी के ब्रेन डेड लोगों में शामिल हूं। बुधवार को मोदी सरकार एक और मंत्री केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को लेकर मुश्किल में फंस गई। बुधवार को दिल्ली की एक अदालत ने ईरानी के खिलाफ मिली उस शिकायत को सुनवाई के योग्य माना, जिसमें उन पर चुनाव आयोग को अपनी एजुकेशनल क्वालीफिकेशन की गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि अदालत ने इस संबंध में ईरानी को समन देने से पहले शिकायतकर्ता से और सबूत मांगे हैं। फ्रीलांस लेखक अहमर खान ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि ईरानी ने 2004 से 2014 तक विभिन्न चुनावों में दिए हलफनामों में अपनी एजुकेशन की अलग-अलग जानकारी दी। पार्टी में असंतोष साफ उभर कर आ रहा है। देखना यह होगा कि इसका आगामी बिहार चुनाव पर क्या असर पड़ता है?
-अनिल नरेन्द्र

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