Tuesday, 9 June 2015

बिना चालक के रफ्तार भरने आ रही है मेट्रो

दिल्ली मेट्रो फेज थ्री की परियोजना के लिए दक्षिण कोरिया में निर्मित पहली अत्याधुनिक मेट्रो ट्रेन दिल्ली पहुंच गई है। फेज थ्री के तहत मजलिस पार्प-शिव विहार और बाटेनिकल गार्डन-जनकपुरी वेस्ट लाइन के बीच रफ्तार भरने के लिए पहली बिना ड्राइवर (ट्रेन ऑपरेटर) की ट्रेन दिल्ली लैंड कर गई है। खास बात यह है कि कोरिया के यांगवान में तैयार ट्रेन समुद्र के रास्ते गुजरात पहुंचकर सड़क मार्ग से दिल्ली पहुंची। इन दोनों लाइनों पर कुल 486 कोच ट्रेनों में जुड़कर चलेंगे, जिसमें 120 कोरिया और 366 बेंगलुरु की कंपनी भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) तैयार करेगी। दिल्ली मेट्रो के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मंगू सिंह ने बृहस्पतिवार को मुपुंदपुर डिपो में फेज थ्री की पहली हाइटैक ट्रेन से परदा उतारा। डीएमआरसी के मुताबिक दोनों लाइनें दिसम्बर 2016 तक यात्रियों को सेवाएं देनी शुरू कर देंगी। हुंडई रोटेम कंपनी द्वारा तैयार ट्रेन समेत कोच बेहद हाइटैक तकनीक के हैं, जिसमें ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी। कोच के अंदर 18.5 इंच की एलसीडी लगी होगी, जिसमें ऑडियो-वीडियो से जानकारियां मिलेंगी। भारत के लिए बिना ड्राइवर की ट्रेन नई बात होगी। न्यूयार्प सिटी सब-वे को सबसे बड़े रेल ट्रांजिट सिस्टम में गिना जाता है। 1355 किलोमीटर लम्बे ट्रेक पर आठ से 11 कोच की चालक रहित मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। लंदन अंडरग्राउंड विक्टोरिया लाइन पर चार कोच की मेट्रो का संचालन 21 किलोमीटर लम्बे ट्रैक पर किया जा रहा है। डैनमार्प में 20.4 किलोमीटर लम्बी लाइन पर कुल 34 ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। हर ट्रेन में तीन कोच जुड़े हुए हैं। बैंकाक में 1999 से संचालन किया जा रहा है। 84.8 किलोमीटर लम्बी चार लाइनों पर 61 स्टेशनों से रोजाना 7770 यात्री सफर करते हैं। हांगकांग में 80 के दशक से पहले ही रेल ट्रांजिट सिस्टम की शुरुआत हो गई थी, लेकिन 2005 में शुरू हुई डिज्नीलैंड रिसोर्ट लाइन पर चालक रहित मेट्रो का संचालन किया गया। फेज एक और दो की विभिन्न लाइनों में अकसर सिग्नल प्रॉब्लम रहती थी जिसके कारण स्पीड के साथ ट्रेन पहुंचने में देरी होती थी। हालांकि यात्रियों को फेज थ्री में सिग्नल प्रॉब्लम से राहत मिलने वाली है क्योंकि फेज थ्री में ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (एटीपी) नहीं बल्कि कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) लगाया गया है। सीबीटीसी स्पीड बढ़ाने के साथ-साथ फ्रीक्वैंसी बढ़ाने में सबसे अधिक मददगार सिद्ध होगा। फेज थ्री एटीपी से संचालित होगी। इसी के चलते ड्राइवर का काम खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इन ट्रेन लाइनों पर कुछ सिग्नल प्वाइंट ही यात्रियों को देखने को मिलेंगे। दिल्ली मेट्रो से जहां लाखों लोगों को आने-जाने में सुविधा हुई है वहीं यह देश की महान उपलब्धियों में से एक है। एक बात समझ नहीं आती कि जब हम मेट्रो को अंदर से इतना साफ-सुथरा रख सकते हैं तो अन्य ट्रेनों में हम सफाई का कोई ध्यान क्यों नहीं रख सकते। मेट्रो को तीसरे फेज की बधाई।

-अनिल नरेन्द्र

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