Tuesday 29 December 2015

हर साल होते हैं नाबालिग बच्चे- बच्चियां हजारों की तादाद में गायब

अपनों की तलाश में करीब 12 साल के  बाद गीता भारत लौटी तो दिल्ली से इंदौर तक खुशियां मनाई जाने लगीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अरविंद केजरीवाल ने न केवल गीता बल्कि उसके साथ आए ईदी फाउंडेशन के सदस्यों से गीता के पाकिस्तान प्रवास का विवरण सुना। गीता तो खुशनसीब है और हाई-प्रोफाइल केस होने के कारण उसे अपने परिजनों से मिलवाने के लिए भारत सरकार व पूरा देश साथ खड़ा हो गया पर आज भी दुख से कहना पड़ता है कि ऐसी सैकड़ों गीता गुमशुदगी के अंधेरे में खोई हुई हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। परिवार दर-दर की ठोकरें खाता हुआ उन्हें ढूंढ रहा है। एक स्वयंसेवी संस्था नव सृष्टि ने बच्चों की गुमशुदगी संबंधी जानकारी के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) का सहारा लिया। जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि गत वर्ष एक जनवरी से 31 दिसम्बर 2014 के बीच 18 वर्ष की उम्र तक के 3409 गुमशुदगी के मामले सामने आए। इनमें सबसे ज्यादा संख्या लड़कियों की रही। गत वर्ष 2050 लड़कियां गुमशुदा हुईं जबकि 1359 लड़के। पश्चिमी दिल्ली में सबसे ज्यादा 500 नाबालिग लड़कियां गुमशुदा हुईं, जबकि दूसरे, तीसरे व चौथे नम्बर पर बाहरी, पूर्वी व दक्षिण दिल्ली जिले रहे। जहां से क्रमश 418, 400 और 334 नाबालिग बच्चियां लापता हुईं। राहत की बात यह है कि पुलिस ने 1164 लड़कियों व 843 लड़कों को बरामद करने में सफलता पाई। लेकिन अभी भी 886 लड़कियां और 516 लड़कों समेत 1402 नाबालिग गुमशुदा हैं। इनकी तलाश में दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन मिलाप से लेकर कई अन्य अभियान शुरू किए हैं। हालांकि आरटीआई में सिर्प सात जिलों में नाबालिगों की गुमशुदगी संबंधी आंकड़े दिए गए हैं। स्वयंसेवी संस्था ने बताया कि दक्षिण दिल्ली समेत कई अन्य जिलों ने कोई जवाब नहीं दिया। पश्चिमी दिल्ली में गत वर्ष गुम 323 लड़कियों का अब तक कोई अता-पता नहीं चल सका है। इसी तरह बाहरी दिल्ली की 256, दक्षिणी पूर्वी दिल्ली की 198, पूर्वी दिल्ली की 146, दक्षिणी पश्चिमी से 128, उत्तरी की 92, मध्य जिले से गायब 21 लड़कियों का कोई पता नहीं चला। आज देश में कई ऐसे गिरोह हैं जो नाबालिग लड़कों-लड़कियों का अपहरण कर लेते हैं। लड़कियों को या तो बेच दिया जाता है या फिर उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है।  लड़कों को अपराध की दुनिया में धकेल दिया जाता है। यह गिरोह हर समय ऐसे बच्चों की तलाश में घूमते रहते हैं और जहां कहीं भी बच्चों को अकेला पाते हैं उठा ले जाते हैं। कुछ गिरोह छोटे बच्चों को टॉफी, मिठाई व खिलौने का लालच भी देकर उठा लेते हैं। पुलिस तो अपना काम कर ही रही है पर मां-बाप, समाज को भी ज्यादा जागरूक होना पड़ेगा। बच्चे कहां हैं, कहां खेल रहे हैं? अनजान लोगों के साथ कहीं भी जाने से रोकना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

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