Sunday, 6 December 2015

पर्यावरण और जलवायु से खिलवाड़ का खौफनाक नतीजा

उधर पेरिस में दुनिया के मौसम के बदलने और ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा अभी समाप्त ही हुई थी कि भारत के चेन्नई में बारिश से कयामत आ गई। असाधारण बारिश ने चेन्नई पर अभूतपूर्व कहर ढाया है। सोमवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने 100 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया। पिछले नवम्बर में वहां सप्ताहभर हुई बारिश ने पूरे राज्य के जनजीवन को ठप कर दिया था और शहर के निवासी बड़ी मुश्किल से इस आपदा से निकले ही थे कि अब दोबारा शुरू हुई बारिश से तिरुवल्लूर, चेन्नई और कांचीपुरम की स्थिति भयावह है। हजारों लोग घर छोड़कर शिविरों में जाने पर मजबूर हो गए हैं। मौतों का आंकड़ा दो सौ के आसपास पहुंच चुका है। यह कितना बड़ा संकट है, यह इससे भी समझा जा सकता है कि चेन्नई कई दिनों से बंद पड़ा है और विमान पानी में डूबे हुए हैं। एक सौ सैंतीस वर्षों में पहली बार द हिन्दू अखबार चेन्नई समेत कुल चार संस्करण नहीं छप सके। चेन्नई में लगातार बारिश की वजह से जिस तरह की स्थिति बनी है वह यह सोचने पर बाध्य करती है कि प्रकृति और पर्यावरण के साथ अपने साझे संतुलन को हम जिम्मेदारी से असल में शक्ल नहीं देते तो भविष्य का खतरा नजदीक आता जाएगा। राज्य की जयललिता सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस त्रासदी के पीछे ईश्वर का हाथ बता रहे हैं। इससे इंकार नहीं कि यह प्राकृतिक आपदा है पर चेन्नई समेत पूरे तमिलनाडु में पिछले कुछ वर्षों से जो गगनचुम्बी विकास हुआ है उसने भी इस विनाश को आमंत्रित किया है। करीब एक दशक पहले बारिश ने मुंबई जैसे महानगर का जो हाल किया था, कायदे से वही संभलने के लिए काफी होना चाहिए था पर हमने न तो पिछले साल श्रीनगर समेत पूरे कश्मीर की उस भीषण बाढ़ से ही कोई सबक लिया, जो त्रुटिपूर्ण शहरी नियोजन, नदियों-तालाबों के किनारे या उस पर निर्माण, पानी की निकासी के प्रति उदासीनता और शहरों में आबादी के बढ़ते दबाव से सबक लिया या बार-बार ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की चेतावनियों पर पर्याप्त ध्यान दिया। दरअसल पर्यावरण विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश-बाढ़ या सूखे की असामान्य एवं चरम स्थितियों का सामना हमें करना पड़ेगा। चेन्नई में भारी बारिश से पैदा हालात से निपटने के लिए सेना, नौसेना और राष्ट्रीय आपदा बल की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गई हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर प्रभावित लोगों को बचाने, राहत पहुंचाने में जुटी हुई हैं। साफ है कि जो स्थिति वहां बनी है उससे फिर से सामान्य जनजीवन बहाल होने में समय लगेगा। व्यावसायिक रूप से जो नुकसान हुआ है उसका असर तो खैर पूरे देश पर पड़ेगा। आज सारा देश तमिलनाडु के साथ है और सभी हर संभव मदद पहुंचा रहे हैं।

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