Wednesday 23 December 2015

क्रिकेट की खातिर डीडीसीए का शुद्धिकरण जरूरी है!

पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने रविवार को अपनी बहुचर्चित प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली एंड डिस्ट्रिक क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) घोटाले के संबंध में जो खुलासे किए हैं वह बेशक पुराने हों पर हां उन्हें इतनी आसानी से नकारा भी नहीं जा सकता। आजाद ने अपनी दलीलों के समर्थन में कई ऐसे साक्ष्य व दस्तावेज पेश किए हैं जिससे पता चलता है कि गड़बड़ियां तो हुई हैं। मसलन 14 ऐसी कंपनियों को लाखों रुपए का भुगतान किया जाना जिनका पता और जानकारी या तो अधूरी थी या गलत थी। इनमें से कई कंपनियों के पास पैन कार्ड जैसा बुनियादी जरूरी दस्तावेज तक नहीं था। इसी तरह प्रिंटर का किराया 3000 रुपए प्रतिदिन और लैपटॉप का किराया 16,000 रुपए प्रतिदिन दिए जाने के भी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। इतनी ही नहीं, निर्माण करने वाली कंपनियों को एक से ज्यादा बार भुगतान किए जाने, एक ही पते और एक ही फोन नम्बर वाली कंपनियों को भी भुगतान किया गया और इस संबंध में वीडियो दस्तावेज भी पेश किए गए। कीर्ति आजाद ने इस बाबत भी साक्ष्य पेश किए कि स्टेडियम की कंस्ट्रक्शन में 24 करोड़ रुपए खर्च होने थे, लेकिन 130 करोड़ रुपए खर्च किए गए और इसके बावजूद काम पूरा नहीं हो सका। आजाद के मुताबिक सच तो यह है कि पिछले 10 सालों के दौरान 400 करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी हुई है और रीजनल डायरेक्टर एके चतुर्वेदी और दिल्ली के कंपनी रजिस्ट्रार डी. बंद्योपाध्याय ने इसकी जांच के नाम पर सिर्प लीपापोती की। कीर्ति आजाद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं बल्कि डीडीसीए में व्याप्त भ्रष्टाचार से है। उधर डीडीसीए ने कीर्ति आजाद द्वारा भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया। डीडीसीए के अध्यक्ष एसपी बंसल ने कीर्ति आजाद और पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी पर निशाना साधते हुए कहा कि व्यक्तिगत लाभ के लिए डीडीसीए पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं। इनका डीडीसीए और किसी व्यक्ति विशेष से कोई लेनादेना नहीं है। यह सही है कि कीर्ति आजाद आज से नहीं वर्षों से डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे हैं। अब आप पार्टी ने अपना उल्लू सीधा करने हेतु आजाद के मुद्दे हाइजैक करने का प्रयास किया है। डीडीसीए में धांधली है, अगर है तो कितनी है इसका फैसला या तो हाई कोर्ट कर सकता है या फिर कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी। प्रथमदृष्टया हमें तो कीर्ति आजाद के आरोपों में दम लगता है। राजनीति को परे रखें तो स्वच्छ क्रिकेट की खातिर डीडीसीए का शुद्धिकरण जरूरी है।

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