Sunday 20 December 2015

अलकायदा से जुड़े आतंकियों की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की बड़ी कामयाबी

अलकायदा से जुड़े दो खूंखार आतंकियों की गिरफ्तारी निश्चित रूप से दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की बड़ी उपलब्धि है। गिरफ्तार आतंकियों में मोहम्मद आसिफ को भारत में जेहादी तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब्दुल रहमान नाम का दूसरा आतंकी ओडिशा के टांगी इलाके में एक मदरसा चलाता था और उसके जरिये जेहादी तैयार करने की मुहिम में जुटा था। इन दोनों की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का निवासी सनाउल हक ही वह शख्स है जो अलकायदा का दक्षिण एशियाई विंग का सरगना है। दरअसल सनाउल ही मौलाना आसिम उमर नामक आतंकी है जिसे अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने खुद एक्यूआईएस का अमीर (प्रमुख) नियुक्त किया था। यह जानकारी इन दो गिरफ्तार आतंकियों से मिली है। इन दोनों को सनाउल हक ने भारत में जेहादी तैयार करने का जिम्मा दिया था। पकड़े गए आतंकियों ने भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लिया था। जिस तरह उन्होंने अवैध तरीके से इतनी आसानी से सीमा पार की और ट्रेनिंग लेकर वापस वहां से लौटे इस पर हमारे खुफिया तंत्र व सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात जवानों की चुप्पी पर भी सवाल उठते हैं? दोनों आतंकी क्रिसमस और नए साल के मौके पर दिल्ली में दहशत फैलाने की साजिश रच रहे थे। इन आतंकियों से यह भी पता चला है कि संभल यूपी में कई और रिकूट मौजूद हैं। विशेष पुलिस आयुक्त अरविंद दीप का कहना है कि संभल से जल्द ही कुछ और युवकों को गिरफ्तार किया जा सकता है। 9/11 हमले से अमेरिका को हिला देने वाले आतंकी संगठन अलकायदा अब अपनी रणनीति बदल रहा है। अब उसे लगता है कि अरब देशों के लोगों को दूसरे देशों में भेजकर वह आतंकी हमला नहीं करवा सकता है। इस कारण उसने जिन देशों में अलकायदा को आतंकी हमला करना है वह अपनी फ्रेंचाइजी (संगठन) बना रहा है। खुफिया एजेंसियों ने भी यह माना है कि आईएसआईएस के चलते भी अलकायदा आतंकी हमलों के लिए अपनी रणनीति बदल रहा है। पिछले कई सालों से यह आशंका जताई जा रही है कि अलकायदा और आईएस भारत में भी अपना जाल फैलाने की ताक में हैं। चिन्ता का विषय यह भी होना चाहिए कि हमारी खुफिया एजेंसियों से कहां चूक हुई कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अलकायदा के शिविरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर आतंकियों के बारे में उन्हें क्यों भनक तक नहीं लगी? आतंकवाद से निपटने के मकसद से सीमा सुरक्षा बल, राज्यों की पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच सही तालमेल कायम करने के लिए एक केंद्रीय तंत्र बनाने का प्रयास किया तो गया है पर इस दिशा में अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई। दिल्ली पुलिस को बधाई कि उसकी सतर्पता के कारण एक बार फिर दिल्ली बच गई और उससे भी बड़ी बात है कि अलकायदा के मंसूबों पर पानी फिर गया।

-अनिल नरेन्द्र

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