Thursday 24 December 2015

रोहतक का निर्भया कांड

हरियाणा के रोहतक शहर में नेपाली युवती से सामूहिक दुष्कर्म ने एक बार फिर दिल्ली के बसंत विहार निर्भया कांड की याद ताजा कर दी है। फरवरी 2015 को शाम पांच बजे गांव गद्दी खेड़ी के मोड़ पर ढाबे में नेपाली किशोर सहित पांच आरोपी शराब पी रहे थे। तभी हिसार रोड़ पर जा रही नेपाली युवती को देखा। शीलू, सुनील माडा, पवन और पदम लड़की को उठाकर गांव के मोड़ पर बने कोठरे में ले गए। इसके बाद उन्होंने मनवीर, सोमबीर, सरवर और घुचड़ू को वहां बुला लिया। सभी ने शराब पी और युवती के साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद लड़की को ड़ेढ़ किलोमीटर दूर दूसरे सुनसान कमरे में ले गए और फिर वहां भी दुष्कर्म किया। भेद खुलने के डर से युवती के सिर में ईंट मारकर उसकी हत्या कर दी और उसके शरीर में नुकीले पत्थर डाल दिए। रोहतक की एडीजे सीमा सिंघल ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस बताया। साथ ही कहा कि मैं महिला हूं। इस लड़की की चीखें सुन सकती हूं और दर्द समझ सकती हूं जो इन दरिंदों ने इसे दिया है। इनके लिए फांसी भी कम है। सभ्यता जितनी आगे बढ़ी है, जितनी तरक्की हुई है, हम दिमागी रूप से उतने ही पीछे चले गए हैं। समाज में बड़े स्तर पर जेंडर वायस्डनेस है। पुरूष समझते हैं कि इन हरकतों से औरतों को दबाया जा सकता है। लेकिन आज समाज को संदेश देना है कि औरतें कमजोर नहीं हैं। वे किसी के सामने दबने और झुकने से इंकार करती हैं। निर्भया या दामिनी बनने से भी मना करती हैं। उन्हें अपनी पहचान पर गर्व है, किसी भी कीमत पर इसे छोड़ने को भी तैयार नहीं हैं। शर्मिंदगी औरतों को नहीं उन मर्दों को होनी चाहिए जो ऐसी हरकतें करते हैं। इस तरह के जुर्म शरीर को नहीं आत्मा को चोट पहुंचाते हैं। शरीर के तो नहीं, पर इस फैसले से आत्मा के घाव मिटाने की कोशिश कर रही हूं। यह बताने की कोशिश कर रही हूं कि औरत बेबस नहीं। आज फैसले में ढील रखती हूं तो महिला से मृत्यु के बाद भी अन्याय होगा। जिस तरह से इस घटना को अंजाम दिया गया उसमें फांसी की सजा भी कम है। सजा सुनाए जाने से पहले ये टिप्पणियां कीं एडीजे सीमा सिंघल ने। फास्ट ट्रेक कोर्ट में सोमवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सातों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। सम्भवत सरकारी वकील की मानें तो देश में किसी भी कोर्ट ने हत्या और गैंगरेप के सात दोषियों को एक साथ फांसी की सजा नहीं सुनाई। मृतका की बहन ने फैसले के बाद कहा कि फांसी की सजा सुनाए जाने से राहत तो मिली है पर चैन उस दिन मिलेगा जब इन सातों को फांसी पर लटकाया जाएगा।

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