Thursday, 17 December 2015

राजेन्द्र कुमार पर छापे पर हाय-तौबा क्यों?

मंगलवार सुबह से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हल्ला मचा रखा है कि सीबीआई ने मेरे कार्यालय पर छापा मारा है। सबसे पहले तो यह बता दें कि मंगलवार सुबह सीबीआई ने मुख्यमंत्री के पधान सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा। राजेन्द्र कुमार के खिलाफ दिल्ली डायलॉग कमिशन के पूर्व सदस्य आशीष जोशी ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच की और पथम दृष्टि में उन्हें करोड़ों रुपए के अवैध लेन-देन और गलत तरीके से अवांछित लोगों का फेवर करने का केस दिखा। आरोप है कि राजेन्द्र कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग किया, उन्होंने बरसों से एक ही कंपनी को दिल्ली सरकार के टेंडर दिए और दिलाए। सूत्रों ने बताया कि आशीष जोशी से शिकायत मिलने के बाद कई स्तर पर उस शिकायत की छानबीन की गई। जांच के दौरान कई विभागों और दूसरे जरिए से जानकारी जुटाई गई। जब पुख्ता जानकारी सामने आई तो वारंट जारी करके मंगलवार को रेड डाली गई। राजेन्द्र कुमार के घर और दफ्तर पर छापा मारा गया। छापों में कागजात, फाइलें, कम्प्यूटर से जुड़ी चीजों को कब्जे में लिया गया। कुछ की जांच मौके पर ही की गई। सीबीआई का कहना है कि जरूरत के हिसाब से कानूनी औपचारिकता पूरी कर किसी से भी पूछताछ की जा सकती है, कहीं भी रेड की जा सकती है। एक अफसर का कहना है कि राजेन्द्र कुमार सीएम के पिंसिपल सेपेट्री हैं। इसका मतलब यह नहीं कि वह सीएम आफिस हैं, लेकिन इसे आधार बना कर कोई भी कह सकता है। छापेमारी की यह कार्रवाई कोर्ट से वारंट लेकर की गई। लेकिन सीएम केजरीवाल ने इसके तुरंत बाद ट्वीट करके कहा कि मेरे दफ्तर पर रेड की गई है और मेरी फाइलें खंगाली जा रही हैं। यहां तक भी रुकते तब भी बात थी पर उन्होंने तो इसके लिए सीधा पीएम पर निशाना साध दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पधान सचिव की फाइलें खंगालने के बहाने सीबीआई उनकी फाइलें देख रही है। सिलसिलेवार ट्विट करके केजरीवाल ने लिखा कि मोदी उन्हें राजनीतिक तौर पर हैंडल नहीं कर पाए तो उन्होंने यह कायरतापूर्ण काम किया। मोदी कायर और मनोरोगी हैं। सीबीआई झूठ बोल रही है। मेरे आफिस पर रेड की गई है। राजेन्द्र के बहाने मेरे दफ्तर में सारी फाइलें देखी जा रही हैं। अगर राजेन्द्र के खिलाफ सीबीआई के पास कोई सबूत है, तो क्यों नहीं मुझसे शेयर किया गया? मैं उनके खिलाफ एक्शन लेता। शाम होते-होते उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी लपेट लिया। उन्हेंने अरुण जेटली के खिलाफ डीडीसीए में घोटाले के सबूत होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि सीबीआई इससे जुड़ी फाइलें ढ़ूंढने आई थी। इस पर हैरत नहीं कि अरविंद केजरीवाल आपे से बाहर हो गए, बल्कि संसद में भी खूब हंगामा हुआ। हंगामा अब संसद की नियति बन गई है। कोई भी मामला हो वह संसद को बाधित करने का जरिया बन जाता है। श्री केजरीवाल को यह भली-भांति मालूम है कि राजेन्द्र कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप पुराने हैं। यह जानकारी होते हुए भी उन्होंने ऐसे दागी अफसर को अपना पिंसिपल सेपेट्री क्यों बनाया? क्या उन्होंने यह जानबूझ कर किया ताकि वे चाणक्य कहलाने वाले इस चहेते अफसर को बचा सकें? वैसे इससे पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे विभिन्न नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ भी सीबीआई इसी तरह की कार्रवाई कर चुकी है। जब भी ऐसी कार्रवाई होती है विपक्षी सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगा देते हैं। यह अजीब है कि जब सुपीम कोर्ट ने सीबीआई को किसी भी स्तर के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के पहले सरकार से पूर्व अनुमति लेने का पावधान खत्म किया था तो इसे केजरीवाल ने अपनी जीत बताया था लेकिन वही अब ये रोना रो रहे हैं कि जांच एजेंसी ने उनके पधान सचिव पर रेड से पहले उन्हें क्यों नहीं सूचित किया। अंत में क्या एक मुख्यमंत्री को देश के पधान मंत्री के पति इस सड़क छाप भाषा, शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए? पर सड़क छाप राजनीति करते-करते माननीय मुख्यमंत्री महोदय सभ्य, मधुर भाषा लगता है भूल गए हैं।

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