Wednesday 2 December 2015

पाक बिना शर्त वार्ता को तैयार?

सोमवार को पाकिस्तान से रिश्तों में तनातनी के बीच पेरिस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाक के पीएम नवाज शरीफ की अचानक मुलाकात हो गई, कम से कम टीवी पर तो ऐसा ही दिखा। दोनों ने एक सोफे पर बैठकर करीब दो मिनट तक बात की। क्या बातचीत हुई, यह पता नहीं चला। जुलाई में रूस के ऊफा में द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों की यह पहली मुलाकात थी। टीवी पर दिखा कि मोदी कुछ समझा रहे हैं और नवाज अपनी बात रख रहे हैं। इससे पहले कश्मीर मुद्दे के बिना भारत से किसी तरह की बातचीत न करने के रुख से पाकिस्तान पलट गया था। राष्ट्रमंडल देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेने माल्टा की राजधानी वालेटा आए पाक के पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हम भारत से बिना शर्त बातचीत को तैयार हैं। पाक के रुख में यह एक बड़ा बदलाव है। अब तक पाकिस्तान कश्मीर को विवाद का मुख्य मुद्दा बताता रहा है। कई बार संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह मामला उठाता रहा है। इसी साल जुलाई में रूस के ऊफा सम्मेलन में मोदी और शरीफ की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने जिन मुद्दों पर बातचीत करने पर हामी भरी थी उनमें कश्मीर नहीं था। लेकिन दो दिन बाद ही पाकिस्तान अपने रुख से पलट गया था। उसने कहा था कि जब तक कश्मीर एजेंडे में नहीं होगा तब तक हम बात नहीं करेंगे। सवाल यहां यह है कि मियां नवाज शरीफ को कितनी गंभीरता से लिया जाए? पाकिस्तान का इतिहास तो इसकी गवाही नहीं देता। अचानक नवाज शरीफ का हृदय परिवर्तन हो गया या कोई फिर गहरी रणनीति है? अभी कुछ ज्यादा दिन नहीं हुए जब उन्होंने कश्मीर को फिर से मुख्य मुद्दा बताते हुए उसे रिश्तों की गर्दन की नस बताया था, तो क्या मानें कि वह कश्मीर की शर्त से पीछे हट रहे हैं? यह किसी से छिपा नहीं कि नवाज शरीफ सरकार पाकिस्तानी सेना के हाथों कठपुतली है। बेशक नवाज शरीफ खुद चाहते हों कि भारत-पाक रिश्ते सुधरें पर बातचीत तो तभी संभव हो सकेगी जब पाक सेना उसको हरी झंडी देगी? पाकिस्तान दुर्भाग्य से भारत की तरह सामान्य लोकतांत्रिक देश नहीं है जहां सारे फैसले केवल सियासी लीडरशिप करती हो। वहां की चाहे विदेश नीति हो या आंतरिक नीति इसमें पाक सेना, जेहादी संगठनों का पूरा-पूरा हस्तक्षेप है। हम समझ सकते हैं कि नवाज पूरी तरह से सेना और इन जेहादी संगठनों से मधुर संबंध बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। पर उन्हें यह भी खतरा है कि जहां वह सेना के विचारों से टकराए वहीं उनका तख्ता पलट भी हो सकता है। इसलिए हमें नवाज शरीफ के नए बयान पर भरोसा नहीं हो रहा है। हां, अगर पाकिस्तान लौटकर पाक सेना के जनरल शरीफ इसका समर्थन करते हैं तब हम समझ सकते हैं कि पाकिस्तान गंभीर है। अभी भारत को रिएक्ट नहीं करना चाहिए। तेल देखो तेल की धार देखो।

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