Sunday 27 December 2015

पुराने भरोसेमंद रूस से रिश्तों में नया आयाम

रूस एक ऐसा देश है जिसने भारत का हमेशा साथ दिया है। कई मौके आए जब भारत अपने आपको अकेला महसूस कर रहा था तब पहले सोवियत संघ ने और फिर बाद में रूस ने भारत को अकेला होने से बचाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से पुराने दोस्त से नए रिश्तों की ताजगी आ गई। आज एक शक्तिशाली व प्रभावशाली देश में उभर रहे रूस को राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में नई ऊर्जा मिली है। हमारे प्रधानमंत्री की तरह पुतिन भी दिलेर नेता हैं जो कोई भी कदम उठाने से कतराते नहीं। जरूरतों के हिसाब से जो भी कदम रूस के हित में हो उठा लेते हैं चाहे किसी को पसंद आए या नहीं। यह भी सही है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका आज प्राथमिकताओं के लिहाज से प्रथम हो गया है। भारत-रूस की दोस्ती पुरानी और आजमाई हुई है। प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने 16वें भारत-रूस सम्मेलन के अवसर पर रक्षा और परमाणु समझौतों समेत कुल 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। समझौतों के प्रकारों पर गौर करें तो वे मोदी के `मेक इन इंडिया' के मद्देनजर भारत में आर्थिक रूपांतरण को मजबूती देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जो भी समझौते भारत और रूस के बीच हुए हैं वे रक्षा, ऊर्जा और व्यापार से जुड़े हैं। ऊर्जा-पिपासु देश भारत के लिए परमाणु रिएक्टरों की स्थापना भारत में ऊर्जा को बढ़ाने में मदद देगा जोकि भारत के लिए अत्यंत जरूरी है। वहीं रक्षा क्षेत्र में कामोव 226 हेलीकॉप्टर को देश में बनाने और एस-400 वायु रक्षा तकनीक पाने के साथ-साथ सामरिक जरूरतों के लिए हुए समझौते हमारी रक्षा क्षमता को बढ़ावा देंगे। आज भी हमारी रक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा निर्भरता रूसी उपकरणों पर है। स्पेयर पार्ट्स भी भारत के लिए जरूरी हैं। जहां तक कारोबार की बात है तो कारोबार भी 10 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 30 बिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा गया है। रूसी कंपनियां भारत में अपना कारोबार बढ़ाएंगी जिससे न केवल देश में आर्थिक उन्नति होगी बल्कि नए रोजगार के मौके मिलेंगे। इन समझौतों का वैश्विक सन्दर्भ कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर मध्य एशिया की भू-सामरिक परिस्थितियां जिस तेजी से बदल रही हैं उसमें भारत-रूस मैत्री का अपना ही महत्व है। चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नरेंद्र मोदी ने जो भारत-रूस और जापान से मिलाकर त्रिगुट बनाया इसमें मदद जरूर करेगा। आईएस के बढ़ते प्रभाव को रोकने में रूस-भारत की सहमति आतंकवादरोधी अभियान में मदद करेगी। रूस के लिए भारत का समर्थन इस समय पुतिन के लिए जरूरी भी है क्योंकि उनके सीरिया में हस्तक्षेप से पश्चिमी देश खासकर अमेरिका नाराज है। मोदी ने संतुलित स्थायी, समावेशी और बहुआयामी विश्व के साझेदार और भारत की सतत तरक्की-प्रगति तय करने में जिस तरह रूस को रेखांकित किया उससे निश्चित ही न केवल भारत-रूस की पुरानी दोस्ती ताजा हुई बल्कि विश्व के इस समय के वह सब नेताओं ने मिलकर सारी दुनिया को नया संकेत दिया है। मोदी की सफल रूस यात्रा की सराहना करते हैं।

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