Wednesday 30 December 2015

खोदा पहाड़ निकली चुहिया, वह भी मरी हुई

खोदा पहाड़ और निकला चूहा, वह भी मरा हुआ। यह हाल हुआ है दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी आप पार्टी का जो पिछले कई दिनों से केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को डीडीसीए घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगा रहे थे। पिछले कई दिनों से केजरीवाल एंड कंपनी ने न तो प्रधानमंत्री को छोड़ा और न ही अरुण जेटली को और निकला क्या? दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के मामलों में दिल्ली सरकार की खुद की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इस सरकारी रिपोर्ट में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का नाम तक कहीं नहीं है। दिल्ली सरकार के सतर्पता विभाग के प्रधान सचिव चेतन सांधी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति की 237 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीडीसीए पर बड़ी संख्या में आरोपों को देखते हुए बीसीसीआई को इस क्रिकेट संस्था को तुरन्त निलंबित कर देना चाहिए। रिपोर्ट में जेटली का उल्लेख किए बिना समिति द्वारा डीडीसीए में कथित अनियमितताओं के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं। जेटली 1999 से 2013 के बीच जब डीडीसीए के अध्यक्ष थे तो संप्रग शासनकाल में गंभीर धोखाधड़ी की जांच कार्यालय द्वारा की गई। जांच में भी अरुण जेटली के विरुद्ध कुछ नहीं पाया गया था। भाजपा ने राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति में अरुण जेटली का नाम न आने का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि रिपोर्ट आ जाने के बाद या तो केजरीवाल ईमानदारी से अदालत में अपनी गलती स्वीकारते हुए माफी मांगें या फिर मानहानि के तौर पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना भरने को तैयार रहें। रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पूरे मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल असत्य राजनीति करते हैं। सबसे दुखद पहलू यह है कि अरविंद केजरीवाल को न तो पद की गरिमा की चिन्ता है और न ही अपनी विश्वसनीयता की। जिस दिन से उन्होंने पदभार संभाला है ऐसे ही अनाप-शनाप आरोप  लगाते आ रहे हैं। भाषा तो बिल्कुल सड़क-छाप स्टाइल की है। अंग्रेजी में कहावत है शूट एंड स्कूट यानि आरोप लगाओ और भाग जाओ। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर भी इसी तरह आरोपों की बौछार कर दी थी। जब मामला अदालत में आरोपों को साबित करने का आया तो भाग खड़े हुए और अंत में गडकरी से माफी मांगनी पड़ी। इस केस में भी यही होगा। झूठ के पांव नहीं होते, पर शायद श्री केजरीवाल को लगता है कि उनके समर्थकों को इसी प्रकार की भाषा पसंद है। इनका एक मात्र उद्देश्य झूठे आरोप लगाकर मोदी सरकार को बदनाम करने का लगता है। इस चक्कर में वह अपना कितना नुकसान कर रहे हैं इसकी उन्हें फिक्र नहीं है।
-अनिल नरेन्द्र


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