Tuesday, 1 December 2015

फारुक अब्दुल्ला क्यों बौखला गए हैं?

यह फारुक अब्दुल्ला साहब को क्या हो गया है? जब सारे देश की निगाहें संसद में संविधान और बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर पर टिकी हुई थीं इस बीच फारुक ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसका न तो सही समय था और न ही ऐसे बयान की कोई जरूरत थी। बहरहाल फारुक साहब ऐसे बेतुके बयानों के लिए मशहूर हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक फारुक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पीओके यानि पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है और उसी के साथ रहेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर भारत का नियंत्रण है और उसे कोई ले नहीं सकता। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हिन्दुस्तान की सारी फौज मिलकर भी आतंकवादियों और उग्रवादियों के खिलाफ डिफेंड नहीं कर सकती। कश्मीर में जारी आतंकवाद पर उन्होंने कहा कि आतंकवादियों से बातचीत कर मसले का हल करना ही अकेला रास्ता है, लेकिन वह नहीं होगा। फारुक साहब ने संसद और संविधान दोनों की गरिमा घटाई है जो घोर निंदनीय है। पाक अधिकृत कश्मीर संवैधानिक रूप से भारत का अभिन्न अंग है जिस पर पाकिस्तान ने बलपूर्वक कब्जा कर रखा है। लेकिन संविधान की शपथ लेकर केंद्र में मंत्री रहे, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला को यह कहने में कोई हिचक नहीं हुई कि पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान में ही रहेगा। हम उन्हें याद दिलाना चाहेंगे कि 22 फरवरी, 1994 को संसद ने पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान और चीन से वापस लेने संबंधित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था। क्या फारुक साहब यह नहीं जानते कि पाकिस्तान ने अवैध तरीके से इस क्षेत्र पर कब्जा किया हुआ है और वहां मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है। क्या फारुक को यह भी नहीं मालूम कि पाकिस्तान ने एक हिस्सा चीन को अवैध तरीके से बेच दिया है। इन सब पर फारुक क्यों नहीं कुछ बोलते? अब तो सारी दुनिया जानने लगी है कि पाक अधिकृत कश्मीर आतंकवादियों का गढ़ बन गया है और यहां के शिविरों से ही भारत पर आतंकी हमले होते हैं। इस तरह की टिप्पणी फारुक ने पहले भी की है। हमें तो अब शक होने लगा है कि उन्हें भारतीय संविधान पर आस्था है भी या नहीं? हमने देखा है कि चाहे फारुक अब्दुल्ला हों, चाहे महबूबा मुफ्ती, यह सत्ता से बाहर होते ही ऐसे ऊंट-पटांग बयान देते हैं। इनको सत्ता की इतनी आदत हो जाती है कि सत्ता से बाहर यह बौखला जाते हैं। फारुक अब्दुल्ला ने ऐसा बयान देकर बेशक पाकिस्तान और जेहादी संगठनों की वाहवाही लूट ली हो पर इसमें संदेह है कि देश के अंदर उन्हें इस पर कोई समर्थन मिले या हमदर्दी।

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