Friday 25 December 2015

बदरपुर पॉवर प्लांट बंद करने से ब्लैकआउट की संभावना?

कभी-कभार जल्दबाजी और दबाव में लिया गया निर्णय बहुत महंगा साबित हो सकता है। अब दिल्ली सरकार और उनके पॉल्यूशन कंट्रोल मिशन का भी ऐसा ही होने वाला है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और दिल्ली हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद केजरीवाल सरकार ने बदरपुर और राजघाट थर्मल प्लांट को बंद करने का फैसला तो झट से ले लिया, पर एनटीपीसी की रिपोर्ट तो एक अलग खौफनाक तस्वीर पेश कर रही है। वर्तमान में बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट का संचालन नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन (एनटीपीसी) द्वारा किया जा रहा है। यह पॉवर स्टेशन 759 मेगावॉट उत्पादन की क्षमता वाला है। वर्तमान में यहां पर करीब 550 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। हालांकि दिल्ली सरकार की नजर में यहां से 250 से 300 मेगावॉट बिजली की पैदावार हो रही है। इस बात के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन कंट्रोल मिशन के तहत बदरपुर पॉवर प्लांट को बंद करने का निर्णय ले लिया। इसके पीछे लगता है कि सरकार की सोच यह है कि इतनी बिजली बाहर से खरीद लेंगे। इससे बजट पर इतना असर नहीं पड़ेगा कि सरकार उसे वहन न कर सके। यानि सरकार की नजर में इसे बंद करना कोई ज्यादा मुश्किल फैसला नहीं है। चार नवम्बर को इस बारे में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव केके शर्मा ने भी कहा था कि बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट को बंद करने से होने वाली क्षतिपूर्ति की भरपायी कर ली जाएगी। सरकार की इस नीति को देखते हुए दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट को नोटिस जारी कर पूछा था कि आपके थर्मल स्टेशन से दिल्ली प्रदूषित हो रही है, क्यों न 15 मार्च 2016 तक इसे बंद कर दिया जाए? इस पर एनटीसी ने गुरुवार को अपना जवाब भेज दिया है। पॉवर स्टेशन की ओर से जवाब में कहा गया है कि इस प्लांट की वजह से प्रदूषण नहीं फैल रहा है। प्लांट में प्रदूषण से निपटने के नार्म्स पूरे हैं। इसके बाद भी एनटीपीसी ने इसे बंद किया तो दिल्ली में बिजली की किल्लत उत्पन्न हो सकती है। यह किल्लत आईसलैंडिंग सिस्टम की वजह से होगी। दरअसल 30 और 31 जुलाई 2012 को उत्तर भारत में ग्रिड फेल हो जाने के बाद दिल्ली ने घंटों का ब्लैकआउट झेला था। अगर सरकार फिर भी अपने निर्णय पर अडिग रही तो दिल्ली को वर्ष 2012 की तरह ही ब्लैकआउट का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली सरकार पहले तो यह जानकारी प्राप्त करे कि यह थर्मल प्लांट क्या वाकई ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है? क्या यह प्रदूषण कंट्रोल नियमों का पालन कर रहे हैं? अगर नहीं तो क्या इन्हें और सख्त किया जा सकता है? पहले वैकल्पिक व्यवस्था का प्रबंध करना बेहतर होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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