Wednesday 19 October 2016

आतंकवाद पर पाक तो अलग-थलग था, मोदी ने चीन को भी बेनकाब कर दिया

उड़ी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग करने की भारत की मुहिम ब्रिक्स सम्मेलन में भी रंग लाई। चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई। यह महाशक्तियां आतंकियों और उनके समर्थकों पर लगाम लगाने के पक्ष में दिखीं। सभी ने नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस नीति का समर्थन किया और आतंकवाद को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताया। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ संयुक्त मीडिया कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ रूस का रुख स्पष्ट है। वह इसे खत्म करना चाहता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत और रूस का स्टैंड एक जैसा है। हम सरहद पार आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर रूस की समझ और समर्थन की प्रशंसा करते हैं। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में दोनों देश एक-दूसरे का पूरा सहयोग कर रहे हैं। पुतिन ने कहा कि भारत के साथ विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी के प्रति प्रतिबद्ध हैं। शनिवार को गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के इतर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आतंकवाद के मुद्दे पर तो समन्वय बढ़ाने की बात की पर पठानकोट हमले के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाने की भारत की मुहिम पर समर्थन करने को टाल गए। भारत चीन के इस कदम से काफी आहत था, जब उसने अजहर को राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने के भारत के कदम में तकनीकी पेच फंसा दिया था। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों को रक्षा बातचीत और साझेदारी को मजबूत करना चाहिए। बेशक मसूद अजहर पर भारत को चीन का समर्थन फिलहाल न मिला हो पर रूस को साध कर भारत ने ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे चीन पर कूटनीतिक बढ़त हासिल कर ली है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने अगर सीमा पार आतंकवाद पर ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील को भी साध लिया तो चीन पर कूटनीतिक दबाव और बढ़ जाएगा। वैसे भी चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए भारत ने ब्रिक्स की विस्तारित बैठक में बिम्सटेक के सदस्य देशों की सीमा पार आतंकवाद पर मुखर रुख अपनाने के लिए पहले ही राजी कर लिया है। आतंकवाद पर भारत को रूस का साथ मिला है। दोनों देशों को एक-दूसरे की सख्त जरूरत थी। अमेरिका की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रूस को बड़े रक्षा सौदे की जरूरत थी। दूसरी ओर भारत भी अपने सबसे विश्वस्त मित्र से समर्थन चाहता था। दोनों की मुराद पूरी हुई और निश्चित रूप से यह चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए कूटनीतिक झटका है। रूस और भारत के बीच रक्षा समझौतों से जहां भारत के सबसे विश्वस्त दोस्त रूस ने दोस्ती की मिसाल पेश की वहीं चीन इस बढ़ती दोस्ती से तिलमिलाएगा जरूर। सीमा पार आतंकवाद पर भारत का साथ देने के अलावा रूस ने पांच एस-400 ट्रायंफ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का उपहार देकर हवाई खतरे से निपटने का हथियार भी दे दिया है। इसकी अहमियत इससे समझी जा सकती है कि यह वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली दुनिया की न सिर्प आधुनिक प्रणाली है, बल्कि इसके बाद भारत की रक्षा प्रणाली किसी भी देश (पाकिस्तान और चीन) का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम होगी। ऐसा कर रूस ने भारत को पाकिस्तान ही नहीं चीन से भी बचने का सुरक्षा कवच उपलब्ध करा दिया है। पाकिस्तान तो पहले ही दुनिया में अलग-थलग पड़ा हुआ था ब्रिक्स सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने चीन का भी पर्दाफाश कर दिया।

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