Thursday, 13 October 2016

चीन से मिले जंगी हथियारों के दम पर अकड़ता पाकिस्तान

पिछले पांच सालों में चीन ने पाकिस्तान को अमेरिका की तुलना में तीन गुना ज्यादा हथियार बेचे हैं। पाकिस्तान ने चीन से लगभग 70 प्रतिशत हथियार खरीदे हैं और अमेरिका से सिर्प 19 प्रतिशत। एक दशक पहले पाकिस्तान को हथियार बेचने में अमेरिका और चीन की हिस्सेदारी लगभग बराबर थी, क्रमश 39 और 38 प्रतिशत। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि अब भी हथियारों के मामले में पाकिस्तान भारत से बहुत पीछे है। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से कई हथियार खरीदे हैं। पिछले महीने पाक ने चीन से आठ पनडुब्बियां खरीदीं। यह सौदा 33 हजार करोड़ रुपए का था। 250 से 300 जेएफ-17 विमान दोनों मिलकर पाक एयरफोर्स के लिए बना रहे हैं। 25 हजार टन वाले जुल्फिकार श्रेणी के चार युद्ध पोत चीन से खरीदे हैं। 560 टन वाले अजमत श्रेणी के चार छोटे युद्ध पोत। 600 खालिद टैंक खरीदे हैं जो चीन के टाइप 90-2 जैसे हैं। 9 एचक्यू-16 मिसाइल सिस्टम, जमीन से हवा में मारने में यह सक्षम हैं। चार अवॉक्स (एयरबोर्न वार्निंग सिस्टम)। पिछले चार साल में पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सुरक्षा सहयोग राशि में 73 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं अमेरिका ने सब्सिडी पर आठ एफ-16 विमान भी देने से इंकार कर दिया है। विशेषज्ञों की मानें तो वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा चीन अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को कई मोर्चों पर चुनौती दे रहा है। पर साथ ही पाकिस्तान के जरिये या सीधे भारत को असंतुलित रखना चाहता है। अमेरिका और रूस के बाद चीन हथियारों का तीसरा बड़ा निर्यातक देश है। वैश्विक हथियार निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 5.9 फीसदी है जो 2010 में 3.6 प्रतिशत थी। हथियार निर्यात में चीन, अमेरिका और रूस की हिस्सेदारी बढ़ रही है। पाकिस्तान को हथियार बेचने के पीछे चीन का मकसद पैसा कमाना नहीं है। वह पाकिस्तान की सैन्य शक्ति को भारत के बराबर खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। पिछले पांच साल के दौरान जो हथियार पाकिस्तान को दिए हैं, उनमें ज्यादातर फ्रेंडली प्राइस पर हैं। मकसद साफ है कि जो हथियार चाहिए हमसे लो, हम उचित दाम लगा देंगे। जम्मू-कश्मीर में सेना और सुरक्षाबलों पर हो रहे ताजा हमलों में चीन के हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आतंकी चीन निर्मित ग्रेनेड दाग रहे हैं। पाकिस्तानी सेना एलओसी और बार्डर रिहायशी इलाकों में चीन के मोर्टार दाग रही है। एजेंसियों ने इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को भी सूचित किया है। सूत्रों के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लश्कर--तैयबा, जैश--मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने हाथ मिला लिया है। कटु सत्य तो यह है कि पाकिस्तान चीन से मिले हथियारों के दम पर अकड़ रहा है। चीन ही पाकिस्तान का एक मित्र बचा है।

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