Sunday, 30 October 2016

डीएनडी टोल फ्री

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लाखों मुसाफिरों को दीपावली की सौगात देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाई-वे को टोल मुक्त करने का फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने 9.2 किलोमीटर लंबी और आठ लेन वाली इस फ्लाई-वे पर टोल टैक्स की वसूली पर रोक लगा दी है। कोर्ट का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। कोर्ट ने कहा कि डीएनडी बनने में 408 करोड़ रुपए का खर्च आया था। निर्माण करने वाली कंपनी खुद मान रही है कि 31 मार्च 2014 तक 810.18 करोड़ रुपए की कमाई हो चुकी है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि 300 करोड़ की वसूली अभी शेष है। पैसा वसूलते रहने के बावजूद लागत कैसे बढ़ती जा रही है? कंपनी का यह गणित समझ से परे है? न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि टोल ब्रिज कंपनी ने लागत वसूल कर ली है, लेकिन करार की शर्तों के अनुसार 100 साल में भी उसकी भरपायी नहीं होगी। गलत करार का खामियाजा जनता नहीं भुगत सकती। बता दें कि फैडरेशन ऑफ नोएडा रेजीडेंट एसोसिएशन ने 2012 में याचिका दायर की थी। चार साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण ने ऐसा करार किया है जिसकी वजह से कंपनी अवैध वसूली कर रही है। चार साल में 70 सुनवाई के दौरान अदालत ने महसूस किया कि टोल की लागत से कहीं ज्यादा पैसा वसूला जा चुका है, इसलिए अब जनता से और टैक्स लेने का कोई औचित्य नहीं है। यह एक तरह की अवैध वसूली है। चूंकि देश में हर जगह टोल प्लाजा है और उनके खिलाफ जनता का गुस्सा भी हर जगह है। कभी ज्यादा टैक्स वसूलने को लेकर हिंसक प्रदर्शन, कभी बदइंतजामी को लेकर घंटों जाम, तो कभी सड़कों के घटिया रखरखाव पर आए दिन होते रहते हैं। लेकिन डीएनडी टोल का विवाद इस मायने में अनूठा है कि जिस टोल के बनने में 408 करोड़ खर्च आया, अब कंपनी की दलील है कि वह लागत बढ़कर 31 मार्च तक 2168 करोड़ तक पहुंच चुकी है और गड़बड़झाले इसी बिन्दु पर हैं कि पैसा वसूलते रहने के बावजूद लागत कैसे बढ़ती जा रही है? पूरे विवाद की असली जड़ टोल टैक्स नीति की खामी है। सवाल यह भी है कि जब सरकार सड़क, हाइवे जैसे बुनियादी ढांचे के लिए टैक्स वसूलती है तो कुछ सड़कों के लिए अलग टैक्स क्यों? अब मामला सुप्रीम कोर्ट के पाले में आ गया है। उच्चतम न्यायालय नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है जिसमें डीएनडी पर वाहनों से टोल लेने पर पाबंदी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लगाई है। सुप्रीम कोर्ट पर अब सबकी नजरें टिकी हुई हैं और यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से निकला फैसला देश के बाकी टोल प्लाजा के लिए नजीर बनेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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