Friday 9 December 2016

नोटबंदी के 30 दिन बाद...?

नोटबंदी को एक महीना हो गया है। नए नोटों की किल्लत में रत्तीभर भी सुधार नहीं हुआ है। आठ नवम्बर को प्रधानमंत्री ने ऐलान किया था कि जनता 54 दिन के लिए मेरा साथ दे। पर दुख से कहना पड़ता है कि उन 54 दिनों में से 30 दिन बीतने के बाद भी करेंसी कंच कम नहीं हुआ है। बैंक खातों में सैलरी व वृद्धों की पेंशन आए आठ दिन हो चुके हैं लेकिन लोगों को घंटों लाइनों में लगकर भी बैरंग लौटना पड़ रहा है। बैंकों को आरबीआई द्वारा बेहद कम कैश दिया जा रहा है। यदि 100 लोगों को भी आरबीआई के दिशानिर्देश अनुसार 24 हजार रुपए का विदड्रॉल दिया जाता है तो ब्रांच की नकदी कुछ घंटों में ही खत्म हो जाती है। बैंक खुलने से पहले ही इस ठंड में लोगों की लंबी कतारें लग जाती हैं। एटीएम का भी बुरा हाल है। इक्का-दुक्का एटीएम चलते हैं और घंटों लोगों का कीमती टाइम बर्बाद हो रहा है। एक प्राइवेट बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे बताया कि नई करेंसी उस अनुपात में नहीं छप रही जितनी उसकी मांग है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने दावा किया था कि रिजर्व बैंक इस बात का ध्यान रख रहा है कि नोट प्रिंटिंग प्रेस अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करें ताकि नए नोटों की मांग पूरी की जा सके। ये दावा उन्होंने गत सप्ताह एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने दावा किया था कि बैंक और एटीएम के बाहर कतार कम होती नजर आ रही है। लेकिन ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएम वेंकटचलम इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं। उनका दावा है कि रिजर्व बैंक से नोटों की सप्लाई बहुत कम है और डिमांड बहुत ज्यादा है। सिर्प 20 से 25 प्रतिशत मांग की पूर्ति हो रही है। रिजर्व बैंक और सरकार का यह दावा गलत है कि उनके पास कैश की कमी नहीं है। कैश की कमी के कारण ग्राहकों और कर्मचारियों को काफी दिक्कत आ रही है। बुधवार को तो टीवी पर दिखा रहे थे कि पंजाब में तो वर्दी पहने पुलिसकर्मी अपनी तनख्वाह लेने के लिए बैंकों, एटीएम के बाहर लाइनों में खड़े हैं। अगर पुलिस वालों को भी लाइनों में लगना पड़ेगा तो कानून व्यवस्था कौन संभालेगा? बैंक में ग्राहकों और कर्मचारियों में झड़पें होने लगी हैं। वेंकटचलम का कहना है कि नोटों की सप्लाई की पारदर्शिता भी सवालों के घेरे में है। स्थिति नहीं सुधरी तो बैंक यूनियन 10 दिनों के बाद हडताल पर जाने का विचार कर सकती है। वो कहते हैं कि चूंकि ज्यादातर एटीएम अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं इसलिए लोगों को बहुत तकलीफ हो रही है। बैंक का काम लोगों को कैश देना है जो वो नहीं दे पा रहे हैं। यह बहुत शर्म की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, सरकार और आईबीए को लिखे उनके पत्रों पर दूसरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। नोटबंदी के कारण कैश संकट का असर अब पूरी तरह से आम आदमी की जिन्दगी में दिखाई दे रहा है। महीने की सात तारीख तक भी देश की ज्यादातर फैक्ट्रियों में वर्परों को सैलरी नहीं दी जा सकी है। फैक्ट्री मालिक अपने वर्परों को सिर्प चेक के जरिये पेमेंट कर रहे हैं, लेकिन जिन वर्परों के बैंक अकाउंट नहीं हैं उन्हें सैलरी नहीं मिल पाई है। सबसे बुरी हालत बिहार, यूपी और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में है। एक्सपोर्ट संगठन फियो के मुताबिक इससे एक्सोर्ट भी प्रभावित होने की आशंका है। सैलरी समय से न मिलने के कारण वर्पर्स नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। वर्पर्स के नौकरी छोड़ने से फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और इससे उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। कुछ फैक्ट्री मालिक तो हफ्ते में एक दिन फैक्ट्री चलाने पर मजबूर हो गए हैं। नोटबंदी का अब तो असर बाहरी देशों में होना शुरू हो गया है। रूस ने भारत में नोटबंदी को लेकर राजनयिक स्तर पर सख्त विरोध जताते हुए बदले की कार्रवाई करने तक की चेतावनी दे दी है। रूस का कहना है कि इस वजह से दिल्ली में उसके राजनयिकों को नकदी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली स्थित रूसी दूतावास में करीब 200 लोग काम करते हैं। रूसी सरकार से जुड़े सूत्रों ने नोटबंदी के बाद से दूतावास द्वारा हफ्ते भर में अधिकतम 50,000 रुपए की निकासी सीमा तय किए जाने को अंतर्राष्ट्रीय चार्टर का उल्लंघन करार दिया। सूत्रों ने एक निजी टीवी चैनल को बताया कि उसके दूत अलेक्जेंडर कदाकिन ने दो दिसम्बर को भारतीय विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी और उस पर जवाब का इंतजार कर रहे हैं। रूसी सरकार नोटबंदी का विरोध जताने के लिए भारतीय राजदूत को तलब भी कर सकती है। कदाकिन ने अपने पत्र में लिखा कि सरकार द्वारा तय की गई यह सीमा दूतावास संचालन के खर्चों के लिए पूरी तरह नाकाफी है। उन्होंने कहा कि ये पैसे तो एक ठीक-ठाक से डिनर का बिल चुकाने के लिए भी काफी नहीं हैं। वित्त मंत्रालय ने रूस सरकार के इस ऐतराज पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को कहा कि उनकी ओर से ऐसे दो-तीन फतवे और आए तो 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के सक्षम नेतृत्व में कांग्रेस केंद्र में सत्ता में होगी।

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