Thursday 15 December 2016

सेना पमुख के बाद अब नए पाक आईएसआई चीफ


पाकिस्तान में कई महत्वपूर्ण तब्दीलियां हो रही हैं। पहले सेना पमुख बदला अब आईएसआई चीफ बदल गया है। खुफिया मामले के अनुभवी लेफ्टिनेंट जनरल मुख्तार को पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी आईएसआई  का नया पमुख नियुक्त किया गया है। यह कवायद नए सैन्य पमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की देश के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सेना पर पकड़ मजबूत करने के लिए किए गए पहले बड़े फेरबदल का हिस्सा है। नए आईएसआई पमुख ले. जनरल नवीद मुख्तार भारत के खिलाफ आकामक रुख अपनाने के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को सीमित करने को बड़े कदम उठाने की वकालत की थी। नवीद मुख्तार का मानना है कि अफगानिस्तान को भारत का चेहरा बनने से रोकने के लिए नई रणनीति की जरूरत है। मुख्तार को भी जनरल बाजवा की तरह पधानमंत्री नवाज शरीफ का आशीर्वाद पाप्त है और दोनों ही नवाज के चहेते माने जाते हैं। इस तरह दोनों की नियुक्ति से लगता है कि नवाज शरीफ सेना और आईएसआई पर अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं। जनरल मुख्तार आईएसआई की आतंकवादी रोधी शाखा के पहले पमुख भी रह चुके हैं। मुख्तार ने पांच साल पहले एक पेपर में लिखा था कि अमेरिकी फौज के काबुल छोड़ने से पहले अफगानिस्तान सरकार में उदार तालिबान गुटों को भी शामिल किया जाना चाहिए। यूएस आर्मी वार कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा था कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका सीमित होनी चाहिए। बता दें कि मौजूदा आईएसआई पमुख रिजवान अख्तर के पीएम नवाज शरीफ की सरकार से संबंध सहज नहीं थे। अखबार डॉन के मुताबिक उरी हमले के बाद शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सरकार के बीच बैठक में रिजवान और पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री और नवाज शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ में तीखी बहस हुई थी। नवीद मुख्तार को आईएसआई पमुख पहले ही बना देते पर तत्कालीन सेना पमुख जनरल राहील शरीफ ने इसका विरोध किया था। राहील के हटते ही नवाज ने आईएसआई पमुख बदल डाला। पाकिस्तान में हर सेना पमुख की तरह जनरल बाजवा ने भी नई टीम बनाई है और सेना के पशासन में कई महत्वपूर्ण फेरबदल किए हैं और उसी कम में जनरल मुख्तार की नियुक्ति को भी देखा जाना चाहिए। भारत के लिए जनरल मुख्तार से किसी दोस्ताना रणनीति की उम्मीद तो बेकार है। लेकिन अगर वे अपने नागरिक पशासक का सम्मान करते हुए देश की आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाएं और दोनों देशों के रिश्तों में आतंकवाद आने दें तो यह इस उपमहाद्वीप के लिए बेहतर होगा।

öअनिल नरेंन्द्र

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