Thursday, 29 December 2016

मसला नोटबंदी के बाद बसपा खाते में करोड़ों रुपए का

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नोटबंदी के बाद बहुजन समाज पार्टी के खाते में 104 करोड़ रुपए और पार्टी सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार के खाते में 1.43 करोड़ रुपए जमा होने के खुलासे से सियासी हलकों में हलचल मचना स्वाभाविक ही था। ये रकम यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के खातों में जमा कराई गई। करोल बाग स्थित बैंक ब्रांच के सर्वे के दौरान ईडी को इस बात की जानकारी मिली। ईडी के अनुसार नोटबंदी के बाद इन दोनों ही खातों में बड़े पैमाने पर पुराने नोट जमा कराए गए। जमा की गई रकम में 102 करोड़ 1000 रुपए के नोट और बाकी के पुराने 500 के नोट जमा कराए गए। अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद भी यह सिलसिला थमा नहीं और हर दिन 15 से 17 करोड़ रुपए इस खाते में जमा कराए जाते रहे। हर दूसरे दिन रकम जमा होने से अफसर भी हैरान हैं। जांच एजेंसी ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार के उसी शाखा में एक और खाते का पता चला है। इसमें 1.43 करोड़ रुपए जमा हैं। इसमें 18.98 लाख रुपए नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के रूप में जमा कराए गए। पूरे प्रकरण पर मायावती ने कहा कि यह सारी राशि कार्यकर्ताओं से मिले चन्दे की रकम थी। इसे पार्टी ने आयकर विभाग व टैक्स नियमों के तहत रुटीन प्रक्रिया में जमा कराया था। इसे घोटाले की तरह पेश किया जा रहा है। नोटबंदी का विरोध करने के कारण ही यह साजिश रची जा रही है। यह भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता है। मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में कहा कि चुनावी वादाखिलाफी और नोटबंदी के कारण हो रही हार से दुखी केंद्र सरकार के लोग प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर बसपा और उसके सर्वोच्च नेतृत्व की छवि खराब करने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ चैनलों और अखबारों के जरिये बसपा द्वारा बैंक में जमा कराई गई धनराशि के बारे में जो खबर आई है, वह बसपा ने अपने नियमों के मुताबिक ही जुटाई सदस्यता शुल्क को एक नियमित प्रक्रिया के तहत हमेशा की तरह बैंक में जमा कराया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि जिस अवधि में  बसपा और आनंद कुमार के खातों में धन जमा होने की बात कही जा रही है, उसी दौरान भाजपा सहित अन्य पार्टियों ने भी अपना धन बैंकों में जमा कराया है, लेकिन उनकी चर्चा नहीं होती और न ही उनकी मीडिया में खबर आती है। मायावती की सफाई पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि दलित नेता होने का अर्थ यह नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार का अधिकार मिल गया हो। वहीं भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तंज कसते हुए कहा कि मायावती नोटबंदी का विरोध क्यों कर रही थीं इसकी वजह अब समझ आती है।

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