Saturday, 10 December 2016

तो कहां गया काला धन?

देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में 14.5 लाख करोड़ के 500 और 1000 के पुराने नोट में से 12 लाख करोड़ रुपए बैंकिंग सिस्टम में आ चुके हैं और उम्मीद की जा रही है कि 30 दिसम्बर तक की समय सीमा में शेष रकम भी बैंकों में जमा हो जाएगी। वैसे तो 31 मार्च 2017 तक रिजर्व बैंक में पुरानी करेंसी जमा हो सकती है। रिजर्व बैंक के इस बयान के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि जब सारी रकम बैंक में जमा हो जाएगी तो काला धन कहां चला गया और काले धन को बाहर लाने के लिए की गई नोटबंदी का खामियाजा भारत की आम व गरीब जनता को अकारण ही भुगतना पड़ा? अपनी दूसरी मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि 14.5 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोटों में से 12 लाख करोड़ वापस बैंकिंग तंत्र में लौट चुके हैं बाकी की रकम भी बैंकों में जल्द जमा हो जाएगी। उर्जित पटेल ने उन सवालों को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में टाल दिया, जिनमें उनसे पूछा गया था कि बंद किए गए सारे नोट लगभग बैंकों में वापस आ चुके हैं तो क्या अब इसका मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था में काला धन नहीं है? गवर्नर बुधवार को मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से मध्यम से दीर्घकालिक नतीजे अच्छे आएंगे, जबकि अल्पकालिक परेशानी हो रही है। पटेल ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में काफी पारदर्शिता आएगी, कर संग्रह बढ़ेगा, नकली नोट बनाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि नए फीचर्स जोड़े गए हैं और अर्थव्यवस्था का डिजिटीकरण होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी से पहले इसके फायदे और इस पर आने वाले खर्च का विश्लेषण किया था और अगर बंद किए गए सारे पुराने नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस जमा हो गए हैं तो इसका मतलब यह है कि देश में काले धन की अब समस्या नहीं है। आरबीआई गवर्नर ने प्रश्न के दूसरे हिस्से का जवाब देना पसंद नहीं किया। प्रेस कांफ्रेंस में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर आर. गांधी से सवाल-जवाब का ब्यौरा कुछ ऐसा रहाöनोटबंदी के बाद अब तक बैंकों में लोगों का कितना पैसा आ चुका है? नोटबंदी से 14.5 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन से बाहर किए गए थे। अब करीब 82 प्रतिशत यानि 11.85 लाख करोड़ रुपए बैंकों में जमा हो चुके हैं। 82 प्रतिशत रकम बैंकों में आ चुकी है। जमा कराने के 23 दिन अभी बाकी हैं तो क्या सिस्टम में काला धन नहीं था? उर्जित पटेल सवाल टाल गए और कहाöनोटबंदी से लांग टर्म फायदा होगा। सवालöऔर बाजार में कितनी करेंसी आई? चार लाख करोड़ के नए नोट जारी हो चुके हैं। नए नोट तेजी से छापे जा रहे हैं, तो क्या नोटबंदी जल्दबाजी में हुई? नहींöयह फैसला जल्दी में नहीं लिया गया। आम लोगों को होने वाली दिक्कतों पर भी सरकार में चर्चा हुई थी। आम लोग हमारे राडार में सबसे ऊपर थे। नोट जमा करने की तारीख बढ़ेगी? फिलहाल 30 दिसम्बर ही है। समय के साथ इसकी समीक्षा की जाएगी। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने दावा किया है कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद किए जाने से काले धन वालों पर तो कोई असर नहीं पड़ा है। मगर... छोटे व्यापारी, किसान और गरीबों को इससे परेशानी जरूर हुई है। इस फैसले के चलते देश में 105 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे कदमों से काला धन बाहर नहीं आता। देश में कुल 100 परिवारों के पास ही काला धन है। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि उनके मित्रों के पास कितना काला धन है, जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही और न ही नोटबंदी से वह प्रभावित हैं। नोटबंदी से काला धन बाहर आएगा यह स्कीम ही गलत थी। नोटबंदी के फैसले का समर्थन करने वालों ने दावा किया था कि इससे काले धन पर शिकंजा कसेगा और बड़ी मात्रा में काला धन लोगों के पास से निकल जाएगा या सरकार जब्त कर लेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि देश का सबसे बड़ा काला धन उद्योगपतियों के पास है जिन्होंने इसे विदेशों में निवेश कर रखा है। नौकरशाहों और नेताओं ने काला धन बेनामी प्रॉपर्टियों में खपा रखा है। नोटबंदी से तो बेहतर होता कि सरकार बेनामी सम्पत्ति पर पहले हाथ डालती। अगर वह सही में काला धन निकालना चाहती थी। लिहाजा नोटबंदी से देश के भीतर ज्यादा काला धन नहीं मिल सकेगा और नोटबंदी की यह स्कीम इस दृष्टि से फेल है।

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