Sunday, 11 December 2016

भ्रष्टाचार को दूर करते ये भ्रष्ट बैंक अधिकारी?

प्रधानमंत्री ने जब आठ नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा की थी तो इसके पीछे एक बड़ा कारण बताया गया था भ्रष्टाचार दूर करना। देश की जनता ने इस घोषणा का इसलिए भी स्वागत किया था। पर जैसे-जैसे दिन बीतते गए देश के सामने एक नया भ्रष्टाचार का रूप सामने आने लगा। यह था बैंकों का भ्रष्टाचार। नए नोटों की पुराने 500 और 1000 के नोटों की अदला-बदली में कुछ भ्रष्ट बैंक अधिकारियों ने करोड़ों की हेराफेरी कर डाली। अकसर शक जताया जाता रहा है कि चाहे बढ़ते एनपीए का मामला हो या बड़ी रकम के संदिग्ध लेन-देन का, कुछ बैंक अफसरों की मिलीभगत के बगैर यह संभव नहीं हो सकता। काले धन को सफेद करने के ताजा केसों ने वाकई ही बैंकिंग प्रणाली के भीतर भ्रष्ट तत्वों की मौजूदगी सिद्ध कर दी है। नोटबंदी के बाद वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को देशभर में 50 से अधिक बैंक शाखाओं में छापा मारा। इसका मकसद मनी लांड्रिंग और हवाला सौदों का पता लगाना है। ईडी ने 10 बैंकों की 50 शाखाओं पर यह अभियान शुरू किया। इनमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र, दोनों के बैंक हैं। यह छापे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई के साथ-साथ अन्य शहरों में डाले। ऐसी बैंक शाखाओं के रिकार्ड की जांच की जा रही है, जहां बड़ी मात्रा में पुराने नोट जमा कराए गए या फिर खातों में एक बार में या कई बार में भारी राशि जमा कराई गई। प्रवर्तन निदेशालय ने एक्सिस बैंक के अधिकारियों के साथ साठगांठ में कथित रूप से नोट बदलने से संबंधित मनी लांड्रिंग जांच में अब तीसरी गिरफ्तारी की है। ईडी ने चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) राजीव कुशवाहा को गिरफ्तार किया है। कुशवाहा को मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है। सीबीआई ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को रद्द करने संबंधी रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का कथित तौर पर उल्लंघन करने पर बुधवार को बेंगलुरु में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ मैनेजर और एक कंपनी के दो मालिकों को गिरफ्तार कर लिया। नोटबंदी के बाद सामने आए राजस्थान में दौसा स्थित एसबीबीजे बैंक के कैशियर जिन्होंने एक करोड़ रुपए बदले थे जिसके लिए किसी भी आईडी का इस्तेमाल नहीं किया गया था। मामले में दो अन्य बैंक कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध है। मामले में सीसीटीवी फुटेज ने कई राज खोले हैं। खुलासा हुआ है कि कैशियर ने जयपुर और दौसा निवासी अपने दो दोस्तों के लिए एक करोड़ रुपए बदलने के लिए 22 प्रतिशत कमीशन यानि 22 लाख रुपए कमीशन लिया था। यह राशि उसके बैंक खाते में एक साथ जमा हुई है। हमें यह समझ में नहीं आ रहा कि पूरे देश में नए-नए नोटों की खेपें कैसे पकड़ी जा रही हैं? एक तरफ तो गरीब जनता एटीएम और बैंकों के बाहर घंटों लाइनों में लगी है अपने ही पैसे निकलवाने के लिए, दूसरी तरफ करोड़ों रुपए के नए नोट पकड़े जा रहे हैं? आयकर विभाग ने गुरुवार को चेन्नई में आठ जगहों पर छापे मारकर 90 करोड़ रुपए नकदी और 100 किलो सोना बरामद किया। इन 90 करोड़ में चलन से बाहर हो चुके रुपए और नए नोट शामिल हैं। केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से अब तक नकदी की किल्लत दूर नहीं हो पाई है। आम लोग घंटों बैंक की कतारों में जूझते रहे लेकिन कई रसूख वाले लोगों ने जुगाड़ से ही नोटों की अदला-बदली कर ली। करीब एक हफ्ते पहले नोएडा के सेक्टर-51 में रहने वाले एक उद्यमी के घर बिजली विभाग का एक लाइनमैन कुछ काम करने आया था। काम होने के बाद उसने पैसे मांगे, तो उद्यमी की पत्नी ने उसे 500 रुपए का पुराना नोट थमा दिया। चूंकि लाइनमैन उद्यमी का पुराना जानकार था, तो उसने उद्यमी की पत्नी से कहा कि ये नोट तो बंद हो चुके हैं। मगर आपके पास नए नोट नहीं हैं तो पैसे बाद में दे देना। साथ ही उसने बताया कि नए नोट नहीं मिल रहे हैं क्या? मैं बदलवा सकता हूं। उसके दावे की जांच के लिए महिला ने उसे 500 रुपए के नोटों की एक गड्डी (50,000 रुपए) बदलवाने के लिए दे दी। उस लाइनमैन ने तीन घंटे के भीतर ही 50 हजार की रकम 2000 और 100 रुपए के नोटों में लाकर उद्यमी की पत्नी को थमाई और कहा कि अगर और नोट बदलवाने हैं तो वह उन्हें भी बदलवा देगा। रोजाना बैंकों और एटीएम के बाहर महज 2000 रुपए के लिए धक्के खाते लोगों की परेशानी के बीच इतनी आसानी से इतनी बड़ी रकम का बदला जाना भले ही हैरान करने वाला है, लेकिन पूंजीपतियों और बड़े नौकरशाहों के लिए बैंकों में नोट बदलवाना नकदी संकट के दौर में भी कुछ भ्रष्ट बैंक कर्मियों की वजह से आसान बना हुआ है। बैंकों में जब नए नोटों की सप्लाई आती है तो इसका कुछ प्रतिशत हिस्सा ही वह आम जनता को बांटा जाता है। बाकी मोटी रकम या तो कुछ खास लोगों के लिए रखी जाती है या फिर मोटी कमीशन लेकर बदलने के लिए। दिल्ली भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ द्वारा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक बैठक में दिल्ली के प्रमुख व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि व्यापारिक अव्यवस्था के लिए बैंक कर्मी ज्यादा दोषी हैं क्योंकि जहां साधारण व्यापारी को चालू एवं बचत खातों से पैसे निकालने में कठिनाई हो रही है वहीं बड़ी संख्या में बाजार में आए नए नोट बैंकों व बैंक कर्मियों की हेराफेरी की ओर इशारा करते हैं। नोटबंदी के बाद व्यापारियों ने अपने अनुभवों पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जॉजू व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी से चर्चा की। उधर खबर आई है कि कोलकाता में भाजपा का एक स्थानीय नेता 33 लाख रुपए के नए नोटों के साथ पकड़ा गया है। सारी रकम 2000 के नए नोटों में थी। गिरफ्तार नेता मनीष शर्मा बर्द्धवान जिले के रानीगंज का निवासी है। उसके साथ छह कोयला माफिया भी गिरफ्तार किए गए हैं। इनसे हथियार भी बरामद हुए हैं। अंत में सरकार पेटीएम से सारा भुगतान करने की बात कर रही है। नोटबंदी के बाद सरकार ऑनलाइन पेमेंट लेन-देन पर जोर दे रही है। लेकिन यह भी हकीकत है कि आपकी थोड़ी-सी चूक बदमाशों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है। शाहदरा इलाके में बैग दुकानदार के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। ई-वॉलेट का इस्तेमाल करने वाले लोकेश जैन पेटीएम से अपने बिजली के बिल का भुगतान कर रहे थे। इसी दौरान उनसे ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) मांगा गया। ओटीपी देते ही उनके पेटीएम खाते से 17580 रुपए उड़ा लिए गए। नोटबंदी के बाद अपना लेन-देन पेटीएम से ही कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि पेटीएम भी सुरक्षित नहीं। बैंकों ने तो भ्रष्टाचार को दूर करने के उद्देश्य की भद्द पीटकर रख दी है। भ्रष्टाचार को दूर करते हुए भ्रष्टाचार का नया तरीका अपना लिया है। सरकार अगर आज दुविधा में है तो उसके लिए यह बैंक भी बड़ी हद तक जिम्मेदार हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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