Wednesday, 21 December 2016

नोटबंदी से छिनता रोजगार

देश में आर्थिक मामलों के कई विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि नोटबंदी से आगामी समय में देश के आर्थिक हालात सुधरेंगे और अर्थव्यवस्था काले धन से मुक्त होने की वजह से मजबूत होगी। बेशक ऐसा हो भी सकता है पर फिलहाल तो हमें नोटबंदी की वजह से कई दिक्कतें नजर आ रही हैं। इसके दुष्परिणामों से बेरोजगारी बढ़ रही है। सरकार की नोटबंदी से आम लोगों व मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। देश के विभिन्न भागों से मजदूरों के बेरोजगार होने की खबरें आ रही हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि नोटबंदी के फैसले ने दिल्ली में बेरोजगारी बढ़ा दी है। दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि नोटबंदी के कारण 48.63 लाख असंगठित कामगारों का रोजगार छिनने के कगार पर है। उन पर बेरोजगारी की तलवार लटक गई है। माकन ने कहा कि नोटबंदी के कारण खुदरा बिक्री में 88-90 प्रतिशत तक कमी आई है। उत्पादन में 80 प्रतिशत तक कमी आई है जिसके फलस्वरूप नौकरियों में कमी आने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। काले धन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 1857 की मेरठ की क्रांति धरा पर सर्राफा कारोबार सोना-चांदी के जेवरात बनाने के कारोबार की हालत अत्यंत खराब हो गई है। वहीं पश्चिम बंगाल में और महाराष्ट्र से आकर आभूषण बनाकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले 30 हजार से ज्यादा कारीगर अब रोजी-रोटी के संकट से गुजर रहे हैं। नोटबंदी के कारण पश्चिम बंगाल में दो बीड़ी कारखाने बंद हो गए हैं। एक कारखाने के मालिक राज्य के श्रम मंत्रालय के राज्यमंत्री जाकिर हुसैन खुद हैं। दोनों कारखाने मुर्शिदाबाद जिले में हैं। बताया जाता है कि नोटबंदी के कारण नकद में कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ रहने के बाद कारखाना मालिकों ने तालाबंदी का फैसला किया है। इसमें करीब पौने तीन लाख कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। सरकार की नोटबंदी से आम लोगों व मजदूरों की अलग समस्या खड़ी हो गई है। नोटबंदी के कारण लोग अपने घरों व दुकानों की मरम्मत भी नहीं करा पा रहे हैं जिससे दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष काम न मिलने से रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में फेरी लगाकर दैनिक आवश्यकताओं का सामान बेचने वाले अलग परेशान हैं। बाजार पर मंदी की मार पड़ी हुई है। शादी-ब्याह का सीजन होने के बावजूद व्यापारी ग्राहक के अभाव में हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। नोटबंदी की मार से अनाज मंडी भी अछूती नहीं है। कई दिनों से नए नोट के अभाव में मंडी का कारोबार ठप पड़ा है। नोटबंदी की वजह से बड़ी तादाद में रोजगार छिनने की सूचनाओं से सरकार भी परेशान है। स्थिति का आंकलन करने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को पूरे देश में भेजा जा रहा है। सरकार की एक मुश्किल यह भी है कि उसके पास रोजगार संबंधी जो आंकड़े हैं वो सितम्बर तक के हैं। जिससे नोटबंदी के बाद रोजगार पर पड़े असर का अनुमान लगाना संभव नहीं हो पा रहा है। रोजगार के आंकड़े तिमाही में ही मिल पाते हैं, जो अधिकृत तौर पर जनवरी में ही उपलब्ध हो सकेंगे। श्रम और रोजगार मंत्रालय को यह खबर पहुंच चुकी है कि नकदी की कमी के चलते बहुत बड़ी तादाद में छोटे और मझोले स्तर की औद्योगिक इकाइयों में बंदी का खतरा मंडरा रहा है। सरकार को भी लगातार यह जानकारी मिल रही है कि खेतिहर मजदूर से लेकर निर्माण उद्योग और सर्विस सेक्टर का बड़ा बुरा हाल है। वहां तो या बड़ी तादाद में रोजगार छिन गए हैं या फिर हाथ से निकलने की स्थिति में पहुंच गए हैं। भवन निर्माण, पर्यटन उद्योग और घरेलू व्यवसाय में काम काफी प्रभावित हुआ है। काम घटकर 30 प्रतिशत पर आ जाने से बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है। लार्सन एंड टुब्रो जैसी बड़ी कंपनी ने अपने 14000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। सो कुल मिलाकर हमें तो नोटबंदी से आगामी कुछ समय के लिए बुरी तरह प्रभावित होता नजर आ रहा है। जब लाभ होगा तब होगा।

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