Wednesday 28 December 2016

अटल जी का व्यक्तित्व पद से हमेशा ऊपर रहा है

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश की राजनीति के विरले लोगों में से हैं जिनके व्यक्तित्व का कद उनके पद से हमेशा ऊंचा रहा। अटल जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, एक मझे हुए राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक, साहित्यकार, कवि एवं दृढ़ विचारों के जन-जन के नायक हैं जिनके लिए आज भी लोगों में आदर और प्रेम है। अटल जी को बचपन से ही साहित्यकार और पत्रकार बनने की तमन्ना थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया, उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजञ्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। अपनी कुशल वाक् शैली से राजनीति के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने अपना रंग जमाना शुरू कर दिया था। अटल जी से मेरा अच्छा संबंध व सम्पर्क रहा। मुझे उनके साथ संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका, पेरिस, इंडोनेशिया जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अकसर मैं उनसे मिलता रहता था। अगर उन्हें मेरा कोई संपादकीय पसंद नहीं आता तो वह फोन करके अपनी असहमति जाहिर कर देते। जनता और उनके प्रेमी उनकी तबीयत और वर्तमान स्थिति के बारे में अकसर मुझसे पूछते हैं। 25 तारीख को उनके 92वें जन्मदिन पर काफी गहमागहमी रही। सुबह-सुबह प्रधानमंत्री और अमित शाह सहित भाजपा के कई बड़े नेता उन्हें बधाई देने पहुंचे। वीवीआईपी मूवमेंट के कारण पूरा इलाका छावनी में तब्दील था लेकिन वहीं इसे देखकर अटल जी हर आने-जाने वालों को टकटकी लगाकर देख तो रहे थे लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कह पा रहे थे। अफसोस जिस व्यक्ति की आवाज की सारी दुनिया कायल थी, उस आवाज ने ही उनका साथ छोड़ दिया। अटल जी कई साल से बीमार हैं और बिस्तर पर हैं, सिर्फ इशारों-इशारों में बात करते हैं। उनके चाहने वाले जरूर जानना चाहते हैं कि वह कैसे दिखते होंगे, क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, चल-फिर पाते हैं या नहीं, पहचान पाते हैं या नहीं इत्यादि इत्यादि। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के कुछ महीने बाद से ही अटल बिहारी वाजपेयी सियासी पटल से लगभग गायब हो गए हैं। बुढ़ापा और बीमारी के चलते वह डाक्टरों की निगरानी में अपने घर पर ही रहने को मजबूर हैं। अटल जी के साथ साये की तरह रहने वाले शिव कुमार उनकी पूरी देखभाल में लगे हैं। सुबह उठकर अटल जी हर रोज कसरत करते हैं। उन्हें चार डाक्टरों की टीम सुबह एक्सरसाइज करवाती है। उसके बाद डाक्टरों की सलाह पर उन्हें नाश्ते में दलिया, दूध, ब्रैड और जूस दिया जाता है। हालांकि यह भी सच है कि वह खुद से नहीं चल पाते हैं। उनके कदम लेने के लिए सहारे की आवश्यकता पड़ती है। उन्हें घर में एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए व्हीलचेयर की मदद ली जाती है। शिव कुमार के मुताबिक अटल जी अब बेहद कम बोलते हैं लेकिन उनका अंदाज आज भी वही है। वे अब भी ठहराव लेकर कोई बात कहते हैं। जुबान लड़खड़ाती है इसलिए वे ज्यादातर अपनी बातें इशारों में करते हैं। पूरी जिन्दगी राजनीति में खपा देने वाले अटल बिहारी वाजपेयी उम्र के इस पड़ाव में भी देश-दुनिया से अपडेट रहने की भरसक कोशिश करते हैं। शिव कुमार ने बताया कि पिछले साल तक वह अखबार पढ़ लेते थे, लेकिन अब कमर और नजर दोनों ने उन्हें यह आदत छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। जटिल राजनीतिक जीवन में हमेशा सामंजस्य और सरल रास्ता ढूंढने वाले अटल जी ने देश-दुनिया से अपडेट रहने का भी रास्ता निकाल लिया है। वह अब टीवी क्रीन पर कोई अच्छी खबर देखते हैं तो उनके चेहरे पर एक सादगी भरी मुस्कान दस्तक दे जाती है। अटल जी का हालचाल पूछने वालों में लाल कृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह अकसर आते हैं। हफ्ते-दस दिनों में ये दोनों नेता यहां आते ही रहते हैं। आडवाणी जी यहां आकर घंटों बैठते हैं और अटल जी को निहारते रहते हैं। कई बार तो वह अटल जी की निगरानी वाले डाक्टरों से भी बातचीत करते हैं। सो यह है अटल जी की दिनचर्या। अटल जी की यह स्थिति देखकर दुख होता है।

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