Tuesday 6 December 2016

बिहार के चाणक्य नीतीश ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है

नोटबंदी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का खुला समर्थन करके नई राजनीतिक चर्चा और नए सियासी समीकरण बनने के दौर को हवा दी है। हालांकि नीतीश ने एनडीए से नजदीकी के सवाल पर उठ रही चर्चा को साफ करते हुए नोटबंदी को मुद्दा आधारित समर्थन बताकर विराम लगाने की भी कोशिश की है। दरअसल नीतीश ने नोटबंदी के बहाने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के समर्थन से बनी गठबंधन सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में मिलेजुले संकेत दिए हैं। अकसर यह कहा जाता है कि नीतीश लालू के दबाव में काम कर रहे हैं। कानून व्यवस्था के नाम पर नीतीश पर गंभीर सवाल उठे। ब्रैंड नीतीश रडार पर रहा और उन पर लालू का प्रभाव आंका गया। नीतीश कुमार को नोटबंदी के रूप में ऐसा मौका दिखा जबकि वह बड़ा संदेश दे सकते थे। ऐसे में उन्होंने अपने सहयोगी दल से अलग कड़ा स्टैंड लिया। इससे न सिर्प लालू प्रसाद को उन्होंने संदेश दे दिया बल्कि दबाव में न झुकने वाले नेता के रूप में अपनी साख बचाने की पहल की। दरअसल बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का अपना कोई कोर वोट बैंक नहीं और उनकी इमेज ही सबसे बड़ी मजबूती रही है। नीतीश हमेशा से साफ-सुथरी राजनीति करने के हिमायती रहे हैं और शुरुआत से ही उनका जोर भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ रहा है। ऐसे में अगर वह नोटबंदी के खिलाफ खड़े होते हैं तो जनता में उनकी पूर्व की सादगी और ईमानदार छवि को धक्का लगता। सो, नीतीश ने नोटबंदी की पहली धार का आकलन बखूबी कर लिया और इस पर डटे रहे। एक और अहम बात यह है कि समर्थन की बात उन्होंने डंके की चोट पर की। यहां तक कि उन्होंने अपने फैसले से राजद और कांग्रेस, दोनों को अवगत भी कराया। हां, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि नीतीश ने नोटबंदी के समर्थन में स्टैंड लेकर लालू के खिलाफ प्रैशर टैक्टिस का भी इस्तेमाल करने की कोशिश की है। नोटबंदी पर नीतीश के बार-बार समर्थन करने से एक बार फिर एनडीए में उनकी घर वापसी की चर्चा शुरू होना स्वाभाविक ही है। पर नीतीश के समर्थकों का कहना है कि नीतीश पूरे देश में नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में माने जाते हैं, ऐसे में वह सोच भी नहीं सकते एनडीए में वापस लौटने की। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश नोटबंदी का विरोध करते तो भाजपा बिहार में विरोध में उतर आती पर अब उन्हें मन मारकर नीतीश की तारीफ करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस स्टैंड के बाद पूरे देश में नीतीश की साख और लोकप्रियता में और वृद्धि होगी और आगे जब किसी दूसरे मुद्दे पर मोदी सरकार का विरोध करेंगे तो उनकी बात को अधिक गंभीरता से लिया जाएगा। बिहार की राजनीति के चाणक्य नीतीश कुमार ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है।

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