Wednesday 28 December 2016

जाते-जाते ओबामा ने दिया इजरायल को झटका

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल समर्थक लॉबी के जबरदस्त दबाव के बावजूद ओबामा प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को मंजूर होने दिया जिसमें इजरायल द्वारा विवादित क्षेत्र में बस्तियों के निर्माण की निन्दा की गई थी। अमेरिका पर इस निन्दा प्रस्ताव को वीटो द्वारा रोकने का दबाव था। संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से मांग की है कि वह फलस्तीनी क्षेत्र से अवैध यहूदी बस्तियां हटाए। भारी दबाव की परवाह न करते हुए अमेरिका ने इजरायल से फलस्तीनी क्षेत्र में अवैध बस्तियां रोकने की मांग करने वाले प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का इस्तेमाल करने से बचते हुए इसे पारित करने की परिषद को मंजूरी दे दी। यह दुर्लभतम क्षण है जब अमेरिका ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया और न ही मतदान में हिस्सा लिया। सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव का विरोध इजरायल के अलावा अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर रहे थे। ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखाöसंयुक्त राष्ट्र के लिए 20 जनवरी के बाद स्थितियां बदल जाएंगी। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सामंथा पॉवर का कहना है कि यहूदी बस्तियां का निर्माण इजरायल और फलस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान में रोड़ा बना है। संयुक्त राष्ट्र ने इन यहूदी बस्तियों को अवैध करार दिया है और यहां अवैध यहूदी बस्तियों का निर्माण बढ़ा है। पश्चिमी किनारे की अवैध यहूदी बस्तियों में अभी 430,000 और पूर्वी यरुशलम में 200,000 यहूदी रह रहे हैं और फिलीस्तीन पूर्वी यरुशलम को भविष्य की राजधानी के रूप में देखते हैं। इस बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहाöइजरायल संयुक्त राष्ट्र में इजरायल विरोधी इस शर्मनाक प्रस्ताव को खारिज करता है और इसका पालन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ओबामा प्रशासन संयुक्त राष्ट्र में इस  जमावड़े से इजरायल की रक्षा करने में न सिर्फ नाकाम रहा बल्कि उसने पर्दे के पीछे इसके साथ साठगांठ की। कार्यालय ने कहाöइजरायल (अमेरिका के) नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप और कांग्रेस रिपब्लिकन पार्टी एवं डेमोक्रेटिक पार्टी में हमारे सभी मित्रों के साथ काम करके इस बेतुके प्रस्ताव के नुकसानदायक प्रभावों को समाप्त करना चाहेगा। दो दिन वोटिंग से पहले ही एक इजरायली अधिकारी ने अमेरिका पर इजरायल को मझधार में छोड़ने का आरोप लगाया था। दरअसल अमेरिका यदि वोटों के अधिकार का उपयोग करता तो प्रस्ताव खारिज हो जाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिका के इस कदम को उसके निकटतम सहयोगी इजरायल को कूटनीतिक फटकार वाला माना जा रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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