Thursday 29 December 2016

विदेशी आर्थिक रेटिंग वालों की नजरों में नोटबंदी?

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मविश्वास से लबालब हैं। वे मानते हैं कि यह गिलास जो आधा खाली है तो उस खाली हिस्से की हवा को भी भारत की भोली जनता को बेच सकते हैं। पानी को भी बेच देंगे और हवा को भी। नोटबंदी से काला धन तो समाप्त होने से रहा। पर मोदी जी नोटबंदी को जनता में सफल प्रमाणित करके दिखाने का प्रयास जरूर कर रहे हैं। यही उनकी सियासी कला है कि काला धन खत्म नहीं होगा पर वे इसे खत्म होता दिखाए जा रहे हैं। लोगों को मोहने की उनकी मार्केटिंग कला इंदिरा गांधी, नेहरू से भी कई मायनों में लाजवाब है क्योंकि 56 इंची छाती के राष्ट्रवाद से लेकर संघ परिवार के तामझाम, मां की ममता, त्याग का प्रचार क्लब और सोशल मीडिया के ऐसे लाभ हैं जो पूर्व के किसी प्रधानमंत्री को नहीं थे। पूरे मामले का जादू यंत्र यह है कि यदि मार्केटिंग ठीक है तो सोना कोयला बना देंगे और कोयला सोना। गरीब की सफेद नकदी काली हो गई और अमीर के काले नोट सफेद होंगे तब भी मोदी-मोदी के नारे उनकी सभाओं में लगेंगे। खाली जेब बना दिया भारत की जनता को। पर मोदी जी की भाषण कला और अदम्य उत्साह का विदेशी फाइनेंशियल सर्विसेज पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज भारत की आर्थिक हैसियत बढ़ाने को तैयार नहीं है यानि काले धन के खिलाफ उनके द्वारा उठाए गए नोटबंदी और दूसरे कदमों पर अभी दुनिया की प्रतिष्ठित संस्थाएं कोई निर्णय नहीं देना चाहतीं बल्कि उन्हें उसके प्रभावों का इंतजार है। इसके उलट सरकार बेचैन है। उसकी वैश्विक आर्थिक स्थिति की मान्यता बढ़े और निवेश आए। मूडीज ने 16 नवम्बर को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि भारत सरकार के प्रयासों से अभी वह हासिल नहीं हो सका है, जिसके आधार पर रेटिंग सुधारी जा सके। मूडीज देश पर लंबे कर्जे और बैंकों की बुरी स्थिति को कमजोर रेटिंग की वजह मानती है। उसने विश्लेषण दर्ज किया है कि बैंकों के 136 अरब डॉलर डूब रहे हैं और सरकार का कर्ज भले ही घटा हो, लेकिन उसका ब्याज काफी बढ़ गया है। फाइनेंशियल सर्विस देने वाली ग्लोबल फर्म मार्गन स्टैनली का मानना है कि नोटबंदी से इंडियन इकोनॉमी को कोई फायदा होने वाला नहीं है। अगर सरकार भ्रष्टाचार को रोकना चाहती है तो उसके लिए नोटबंदी नाकाफी है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को दूसरे कदम भी उठाने होंगे। मार्गन स्टैनली के अनुसार संकट के समय में ही नोटबंदी का इस्तेमाल होता है और इसमें दो राय नहीं है कि नोटबंदी के जरिये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश हो रही है।

-अनिल नरेन्द्र

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