Saturday, 31 December 2016

नोटबंदी के 50 दिन : क्या खोया क्या पाया?...(2)

15.4 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों में करीब-करीब 14 लाख करोड़ रुपए वापस बैंकों में जमा किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवम्बर को 500 और 1000 रुपए के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था। तब सरकार को उम्मीद थी कि डिमोनेटाइजेशन के इस फैसले से उसे कई मोर्चों पर फायदा होगा। उम्मीद यह थी कि काले धन के रूप में रखे गए कम से तीन लाख करोड़ रुपए मूल्य के पुराने नोट वापस नहीं होंगे। ऐसा होने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सरकार को अच्छा-खासा लाभांश देती। लेकिन यह उम्मीद पूरी होती नहीं दिख रही है। बैंकों में जमा नोटों की मात्रा से ऐसा लगता है कि लोगों ने काले धन को सफेद करने का रास्ता निकालने में कामयाबी पा ली। अब सरकार इस बात पर खुश हो सकती है कि उसे 2.5 लाख रुपए की सीमा से ऊपर जमा हुए रुपयों पर भारी-भरकम टैक्स मिलेगा। सरकार को एक और फायदा इस लिहाज से भी नजर आ रहा है कि घरों में रखी गई छोटी-छोटी बचतों की रकम बैंकों में आ जाने से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। नोटबंदी के ऐलान को बुधवार को 50 दिन हो गए। इन 50 दिनों में 14 लाख करोड़ से ज्यादा नोट बैंकों में वापस जमा हो चुके हैं यानि 91 प्रतिशत से ज्यादा। जबकि इस दौरान सिर्फ छह लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट सिस्टम में मौजूद होने का दावा था। यही वजह है कि आज भी देश कतारों में खड़ा है। मीडिया में एक सर्वे छपा है। इसमें 1300 से ज्यादा गांवों में सर्वे किया गया। नतीजा-अधिकांश लोग फैसले के तो समर्थन में दिखे, लेकिन साथ ही उनका कहना है कि 50 दिन बाद भी उनकी मुश्किलें जस की तस हैं। कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ने के सरकारी दावे भी कमजोर निकले। डिजिटल ट्रांजेक्शन पर नजर रखने वाली सरकारी संस्था एनपीसीआई के आंकड़ों की मानें तो नवम्बर में डिजिटल ट्रांजेक्शन 15 प्रतिशत घटा है। हालांकि एटीएम जैसी कंपनियां 300 प्रतिशत इजाफे की बात कर रही हैं। बात काले धन की करें तो इस दौरान आयकर विभाग ने 678 छापे मारे। इसमें 3600 करोड़ रुपए का ही काला धन पकड़ा। नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हमारा ग्रामीण अंचल है। पांच राज्यों के 1310 गांव के सर्वेक्षण में पता चला कि 61 प्रतिशत गांवों में एटीएम नहीं हैं। 86 प्रतिशत गांवों में स्वाइप मशीनें नहीं हैं। कैशलेस ट्रांजेक्शन इंटरनेट सुविधा पर आधारित है। भारत में कुल 26 प्रतिशत क्षेत्र में इंटरनेट सुविधा है। दिल्ली में हमें इंटरनेट का अनुभव है। यह कितना चलता है? किस स्पीड पर चलता है यह सबको पता है। इसलिए जब शहरों में यह सुविधा ठीक नहीं है तो गांवों में यह कितनी कारगर होगी आप खुद अनुमान लगा सकते हैं। अब बात करते हैं विदेशी निवेशकों की। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स आठ नवम्बर के बाद से डेट और इक्विटी मार्केट में लगभग 10 अरब डॉलर यानि 68,000 करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं। यह 2013 के बाद दो महीने के पीरियड में उनकी तरफ से हुई सबसे बड़ी बिकवाली में एक है। नोटबंदी के ऐलान के बाद बैंकिंग सिस्टम में नए नोट आते रहने के बावजूद एटीएमों के बाहर लोगों की लाइनें छोटी नहीं हो रही हैं क्योंकि कुछ भ्रष्ट बैंक मैनेजर और अधिकारी काले धन को सफेद करने में जुटे हैं। इन बैंकरों ने ब्लैक मनी वालों का साथ देने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए। सही कस्टमर की पहचान चुराना। कई ग्राहकों की ओर से जमा कराए गए पैन कार्ड और पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल चोरी-छिपे अवैध लेनदेन में किया गया। एटीएम के पैसे की हेराफेरी। बैंक अधिकारियों ने एटीएम सर्विस एजेंसियों के साथ मिलकर एटीएमों के लिए भेजे गए नोटों (नए) के जरिये काले धन को सफेद किया। जनधन खातों का गलत इस्तेमाल। हर बैंक में 10 से 15 प्रतिशत जनधन खातों का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने में हुआ। ऐसा करने वाले बैंकर अब सीबीआई के निशाने पर हैं। डिमांड ड्राफ्ट का फर्जीवाड़ा। बैंक अधिकारियों ने काले धन को सफेद करने के लिए जिन तरीकों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया उनमें एक यह भी है। कमीशनखोर कैशियर। कैशियरों ने कमीशन लेकर पुराने नोटों को नए नोटों से बदल दिया। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में बैंक गए गरीब और निरक्षरों को ठगा गया। फर्जी खाते खोले। कुछ मामलों में जिन ईमानदार खाताधारकों के आईडी प्रूफ बैंकरों के हाथ लगे, उनके नाम पर खाते खोलकर उसके जरिये पैसे की हेराफेरी की। नोटबंदी के बाद काले धन की बैंकों ने काले धन के बदले नए नोट बदलने में शादी के हथियार तक का जमकर उपयोग किया। शादी का कार्ड डालते ही 2.50 लाख रुपए बदल गए। इसके लिए अलग-अलग आईडी का इस्तेमाल किया गया। यहां तक कि लोन के लिए जमा फार्म में लगाए आईडी का दुरुपयोग किया गया। कुछ बैंक अफसर-कर्मचारियों ने 25 से 30 प्रतिशत कमीशन के लालच में घर तक नए नोट पहुंचाने की व्यवस्था की थी। सर्वाधिक धांधली एक्सिस बैंक की 10 ब्रांचों में की गई। इस दौरान कई विवाद पैदा हुए। नोटबंदी पर प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग पर विपक्ष ने संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलने दिया और देश को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। अधूरी तैयारियों के आरोपों के साथ रिजर्व बैंक के बार-बार नया आदेश जारी करने से केंद्रीय बैंक की साख प्रभावित हुई। अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसियों ने भारत की विकास दर गिरने की बात कही है। भाजपा विधायक एक वीडियो में यह कहते हुए कैद हुए कि केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के बारे में दो बड़े उद्योगपतियों को पहले से जानकारी थी। हालांकि बाद में वह इस बयान से मुकर गए। हमारे परिवार में दादा जी से लेकर मुझ तक यही परंपरा रही कि हमेशा जनता के हितों में आवाज उठाओ, वह भी बिना किसी लाग-लपेट के। मैंने ऐसा ही करने का प्रयास किया है। पाठक जानते हैं कि मैंने पहले दिन से जिन उद्देश्यों को लेकर नोटबंदी की गई उन पर संदेह व्यक्त किया था। आज भी अपने स्टैंड पर कायम हूं। मैं चाहता हूं कि देश में ब्लैक मनी बंद हो, काले धंधे बंद हों, भ्रष्टाचार समाप्त हो पर इन तरीकों से शायद ही इनमें सफलता मिले? अगर हमें इन उद्देश्यों को पाना है तो कई कदम उठाने होंगे और सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। एसोचैम के मुताबिक 95 करोड़ भारतीयों के पास अब भी इंटरनेट की पहुंच नहीं है। इंटरनेट स्पीड के मामले में भी भारत 3.5 एमबीपीएस के साथ विश्व रैंकिंग में 113वें स्थान पर है। नए नोटों की छपाई के बावजूद पर्याप्त मात्रा में नकदी आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। आरबीआई अनुमानित आर्थिक विकास की दर 7.6 से 7.1 कर चुका है। एशिया विकास बैंक ने भी विकास दर में कमी की। एसोचैम ने 2017 तक मोबाइल फ्राड 65 प्रतिशत बढ़ने की आशंका जताई थी। साइबर धोखाधड़ी को रोकना सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती है। एक अनुमान के मुताबिक मार्च 2016 तक देश में सिर्फ 53 प्रतिशत लोगों के ही बैंक खाते हैं। पूरे देश को बैंक से जोड़ना होगा। अब आप खुद फैसला करें कि नोटबंदी के 50 दिन में देश ने क्या खोया क्या पाया। (समाप्त)

-अनिल नरेन्द्र

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