Thursday, 1 December 2016

उड़ी से अब तक 72 दिनों में हमारे 43 जवान मारे गए हैं

पाकिस्तान में नए सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा के कमान संभालते ही जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का दुस्साहस बढ़ गया है। मंगलवार सुबह साढ़े चार बजे जम्मू के नगरोटा स्थित सेना की 16वीं कोर के मुख्यालय के समीप आर्टिलरी यूनिट पर पुलिस वर्दी में आए आतंकियों ने हमला कर दिया। हमले में सेना के दो अफसरों समेत सात जांबाज शहीद हो गए। नगरोटा का हमला उड़ी हमले के 72 दिनों बाद हुआ। नगरोटा का यह हमला उड़ी के बाद दूसरा सबसे बड़ा हमला है। उड़ी में ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले में 19 जवान शहीद हुए थे। नगरोटा में दो अफसरों सहित सात जवान शहीद हुए। 14 घंटे की मुठभेड़ के बाद घंटों चले आपरेशन में कहीं जाकर आतंकियों को मार गिराया जा सका। उधर नगरोटा से 70 किलोमीटर दूर चमलियाल में हुए दूसरे हमले में तीन आतंकियों को मार गिराने में बीएसएफ सफल रही। बाद में सर्च आपरेशन के दौरान हुए विस्फोट में बीएसएफ के डीआईजी सहित पांच जवान घायल हो गए। यह दोनों हमले ठीक उसी दिन हुए हैं जिस दिन पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कमान संभाली। नगरोटा में 16वीं पलटन के निकट मंगलवार को ऑफिसर्स मेस पर हमला करने वाले आतंकियों का इरादा निहत्थे जवानों और महिलाओं-बच्चों को बंधक बनाने का था। रक्षा प्रवक्ता मनीष मेहता ने मंगलवार को कहा कि आत्मघाती इरादे से आए आतंकियों का मकसद ज्यादा से ज्यादा जानमाल का नुकसान करना था। मेस के अंदर दो इमारतों में उस वक्त 12 निहत्थे जवान, दो महिलाएं और दो छोटे बच्चे थे। पुलिस वर्दी में आए आतंकी उन्हें बंधक बनाना चाहते थे, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया गया। नगरोटा में सेना के दो अफसरों की पत्नियों की बहादुरी ने आतंकियों को बंधक बनाने के मंसूबे पर पानी फेर दिया। आतंकवादी सैनिकों और अफसरों के क्वार्टर में घुसकर उनके परिवारों को बंधक बनाना चाहते थे। लेकिन अपने-अपने नवजात शिशुओं के साथ क्वार्टर में मौजूद इन दो महिलाओं ने आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया। एनकाउंटर में शामिल सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जिस वक्त हमला हुआ, उस समय इन दोनों महिलाओं के पति नाइट ड्यूटी कर रहे थे। इन महिलाओं ने अपने-अपने क्वार्टर के मुख्य द्वार को घर में मौजूद सभी भारी वस्तुओं से जाम कर दिया जिस कारण आतंकी उनके कमरों में नहीं घुस पाए। इन महिलाओं ने यदि सतर्पता नहीं बरती होती तो आतंकी उन्हें बंधक बना सकते थे और सेना तथा उनके परिवार वालों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे। इसके बाद आतंकी दो भवनों में घुस गए, जहां कुछ अधिकारी, उनके परिजन और कुछ लोग मौजूद थे। इससे बंधक जैसी स्थिति बन गई लेकिन सेना ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी को बचा लिया। जब से भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की है पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया है और पूरी तरह खूनखराबे पर उतरा हुआ है। उड़ी हमले से लेकर नगरोटा व चमलियाल हमलों तक शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो जब पाकिस्तान ने भारतीय चौकियों पर हमला न किया हो। उड़ी हमले में 19 जवान शहीद हुए थे। तब से 72 दिन में भारत के 43 जवान शहीद हो चुके हैं और 66 घायल हो चुके हैं। देखा जाए तो इस तरह पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक का बदला ले लिया है। यही नहीं, आतंकियों ने दो जवानों के शव के साथ बर्बरता भी की। एक जवान अब भी पाक के कब्जे में है। हमें यह समझ नहीं आ रहा कि पाकिस्तान और उनके पिट्ठू इतनी आसानी से सेना के ठिकानों को निशाना बना रहे हैं? नगरोटा के हमले ने एक बार फिर सैन्य ठिकानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पाकिस्तान ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है अब पिछले कुछ समय से वह सैन्य ठिकानों पर लगातार हमले कर रहा है। इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। इस तरह के हमलों से एक तो आतंकी सूबे की जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि वे आम नागरिकों को नहीं, बल्कि भारतीय सुरक्षा बलों और उनके ठिकानों को ही निशाना बना रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि बॉर्डर एलओसी से अलग सुरक्षा बलों के हैडक्वार्ट्स, मेस आदि ठिकानों पर सुरक्षा के इतने बड़े इंतजाम नहीं होते हैं। कई जगह तो सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं। यही वजह है कि आतंकी इन सॉफ्ट टारगेट्स में अंदर तक जाने में कामयाब हो जाते हैं। नगरोटा के हमले के बारे में जानकार यह भी कह रहे हैं कि यदि पहले से नगरोटा हमले के बारे में विशेष सूचनाएं थीं तो यह और भी गंभीर मामला है। यह सही है कि हमारे सैनिकों ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए बंधकों को बिना कोई नुकसान हुए मुक्त कराने में कामयाबी हासिल की। लेकिन दो अफसर और पांच जवान शहीद हो गए यह साधारण घटना नहीं मानी जा सकती। यदि लश्कर द्वारा हमला करने के बारे में पहले से ही खुफिया सूचनाएं होने की खबर सही है तो आतंकियों के अंदर तक आ जाना एक बड़ी चूक कहा जा सकता है। यह सही है कि जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर सीमा रेखा अत्यंत दुर्गम है, लेकिन आखिर इसका मतलब क्या है कि आतंकी रह-रहकर तार काटकर भारतीय सीमा में घुस आएं? यदि आतंकी किसी भी जतन से घुसपैठ करते रहेंगे तो जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों का सिलसिला रुकने वाला नहीं, आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए केवल सीमा पर ही नई रणनीति नहीं बनानी होगी, बल्कि इस पर भी ध्यान देना होगा कि पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों के दुस्साहस का दमन कैसे हो? जब भारत सरकार इस नतीजे पर पहुंच  गई है कि पाक एक आतंकी राष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहा है तब फिर इस तरह की संभावना प्रकट करते रहने का कोई मतलब नहीं कि पाकिस्तान से भारत के संबंध सुधर सकते हैं। अब यह आवश्यक हो गया है कि पाक को सबक सिखाया जाए। सभी विकल्पों पर विचार हो।

-अनिल नरेन्द्र

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