Tuesday, 24 January 2017

जवानों को घटिया खाना और अपराधियों के इतने ठाठ?

दिल्ली हाई कोर्ट ने नियंत्रण रेखा पर जवानों को दी जाने वाली खाद्य सामग्री की कथित खराब गुणवत्ता पर स्थिति रिपोर्ट की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगी है। बीएसएफ के एक जवान ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर खाने की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए थे। मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन की कथित खराब गुणवत्ता सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और असम रायफल्स से भी अपना रुख बताने को कहा है। पीठ ने बीएसएफ को यह भी आदेश दिया कि वह उसके सामने जांच रिपोर्ट जमा करे और यह बताए कि उसने बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव की ओर से लगाए गए आरोपों के संबंध में क्या कदम उठाए हैं। उसके पास जो भी रिपोर्ट है उसे आगामी तारीख 27 फरवरी को अदालत के समक्ष पेश करे। तेज बहादुर यादव की शिकायत के बाद से जवानों की खाने संबंधी शिकायतों में बाढ़-सी आ गई है। हमें नहीं पता कि जवानों की शिकायतों में कितना दम है या नहीं पर हम इतना जानते हैं कि भारत की जेलों में कैदियों को भी सीमा पर तैनात जवानों से बेहतर खाना मिलता है। सुबह की शुरुआत दूध, ब्रैड और अंडे के साथ। खाने में मौसमी हरी सब्जी, रात को बिस्तर पर सोने से पहले कभी खीर तो कभी मिठाई। यह किसी अच्छे हॉस्टल या जिम जाने वाले युवाओं की डायट नहीं है बल्कि ये उन दुर्दांत अपराधियों का खाना है जो इस समय देश की तमाम जेलों में बंद हैं। यह अलग बात है कि इस समय सीमा पर तैनात जवान खाने की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं और इस विषय पर देश में लंबी-चौड़ी बहस/जांच हो रही है। इस बीच हमने यह पता करने की कोशिश की कि तिहाड़ जेल और विभिन्न राज्यों की केंद्रीय जेलों में आखिर कैदियों को कैसा खाना दिया जा रहा है। इसमें सामने आया कि जेल में बंद कैदियों को कई मायनों में आम आदमी से भी ज्यादा बेहतर खाना मिलता है। तिहाड़ जेल के एआईजी मुकेश प्रसाद कहते हैं कि हम हमेशा जेल मैन्यूअल के हिसाब से कैदियों को खाना देते हैं। राजस्थान में सक्षम कैदियों को प्रतिदिन 600 ग्राम आटा दिया जाता है। तिहाड़ में प्रति कैदी को 400 ग्राम आटा प्रतिदिन देते हैं। तिहाड़ में प्रतिदिन प्रति कैदी एक दिन में 250 ग्राम सब्जी मिलती है। बीएसएफ में करीब 240 ग्राम सब्जी। आम आदमी भी तो एक दिन में करीब 150 ग्राम ही सब्जी खाता है। तिहाड़ जेल में 90 ग्राम दाल दी जाती है। कई जेलों में सातों दिन अलग दालें दी जाती हैं। तिहाड़ में सप्ताह में एक दिन खीर और विशेष मौकों पर छोले-पूरी मिठाई आदि मिलते हैं। हरियाणा की जेलों में मंगलवार को खीर बनती है। छत्तीसगढ़ में रविवार को हलवा बनता है। हरियाणा की केंद्रीय जेलों में सामान्य कैदियों की सुबह 250 ग्राम दूध और 100 ग्राम ब्रैड के साथ होती है। छत्तीसढ़ में सुबह कैदियों को खास तौर पर 100 ग्राम भुने चने दिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में 60 की उम्र से अधिक कैदियों को 500 ग्राम दूध और एक अंडा दिया जाता है। बीमार कैदियों को तो जूस और दूसरे पौष्टिक आहार भी मिलते हैं। अब आप खुद बताएं कि क्या सीमा पर अपनी जान को दांव लगाने वाले हमारे बहादुर सिपाहियों को पेट भरने के लिए घटिया खाना दिया जाता है और इन दुर्दांत अपराधियों को इतना अच्छा खाना दिया जाता है? कितना गलत है और कितना अन्याय है?

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