Friday 20 January 2017

कानपुर रेल हादसे के पीछे आईएसआई?

कानपुर में पिछले साल 20 नवम्बर को हुई रेल दुर्घटना महज एक हादसा था या किसी ने सुनियोजित साजिश रची थी? 20 नवम्बर को कानपुर से 57 किलोमीटर दूर पुखरायां में सुबह तीन बजे इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इसमें 152 की मौत हुई और 200 से अधिक यात्री घायल हुए थे। वैसे तो हादसे के कारणों का रेलवे की जांच रिपोर्ट से पता लगेगा पर बिहार के मोतिहारी में गिरफ्तार तीन बदमाशों से पूछताछ के दौरान इस हादसे में पाक कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ होने की बात सामने आ रही है। इन बदमाशों ने कबूला है कि भारतीय रेलवे को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहे थे। आईएसआई का दुबई में बैठा गुर्गा एक नेपाली के जरिये यह काम करा रहा था। तीन शातिर बदमाशों में शामिल मोती पासवान ने बताया कि इस ट्रेन हादसे में वह भी शामिल था। उसके साथ कानपुर में कई अन्य लोग भी थे। इनमें दिल्ली में पकड़े गए बदमाश जुबैर व जियामुल हक शामिल थे। मोती ने बताया कि कानपुर से पहले पूर्वी चम्पारण के घोड़ासहन स्टेशन के पास रेल ट्रैक व चलती ट्रेन को उड़ाने की साजिश भी उसी संगठन ने की थी। इसके लिए नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरी ने आदापुर निवासी अरुण व दीपक राय को तीन लाख रुपए दिए थे। लेकिन दोनों ने आईईडी लगाने के बाद भी रिमोट का बटन नहीं दबाया। इस कारण वह विस्फोट नहीं हो सका। घटना को अंजाम नहीं दे पाने के कारण नेपाल बुलाकर ब्रजकिशोर ने अरुण व दीपक की हत्या कर शव फेंक दिए थे। बिहार के मोतिहारी से गिरफ्तार किए गए तीन बदमाशों द्वारा बिहार पुलिस को दिए बयान में जुबैर व जियामुल हक का नाम बताने पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस इलाके से उन्हें ढूंढ निकाला। बदमाशों ने इन दोनों पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने के आरोप लगाए हैं। यह अत्यंत गंभीर आरोप हैं। जो भी कसूरवार है उसके सिर पर 152 निर्दोषों की मौत के खून का अपराध है। मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। केवल कुछ बदमाशों के बयानों पर इतना बड़ा आरोप लगाना शायद सही नहीं होगा। इस मामले के फोरेंसिक सबूत व पूरी डिटेल्स सामने लाने होंगे। हर हादसे में आईएसआई का नाम लेना फैशन हो गया है। पर अगर यह साबित होता है कि वाकई ही इस ट्रेन हादसे में आईएसआई का हाथ था तो यह तो एक तरह से एक्ट ऑफ वॉर है और इसका जवाब पाकिस्तान को देना पड़ेगा। पाकिस्तान अपनी आदत के मुताबिक इसमें अपना हाथ होने से इंकार कर देगा। साबित तो सबूतों के साथ हमें ही करना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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