Tuesday 17 January 2017

बराक ओबामा के आठ साल, अलविदा ओबामा

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा आठ साल का कार्यकाल पूरा करके अपने पद से विदाई ले रहे हैं। राष्ट्रपति बराक ओबामा ऐसे समय व्हाइट हाउस से विदा हो रहे हैं जब अमेरिका ने अपने लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे कटुता भरे चुनाव में अपना नया राष्ट्रपति चुना। ओबामा ने आठ नवम्बर 2008 को बतौर पहले अफ्रीकी अमेरिकन व्यक्ति के रूप में राष्ट्रपति का पद संभाला था। ओबामा को वर्ष 2009 के नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। ओबामा शासन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही दो मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में एक अमेरिकी सैनिकों के विशेष दस्ते ने रात में कार्रवाई करके कुख्यात अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारा। लंबे समय से इराक में फंसी अमेरिकी सेना का वापसी का रास्ता ओबामा ने 15 दिसम्बर 2011 को तब खोला जब उन्होंने इराक युद्ध की समाप्ति की घोषणा की। नौ नवम्बर 2012 को ओबामा रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनो को हराकर दोबारा चार साल के लिए राष्ट्रपति बने। 28 दिसम्बर 2014 को उन्होंने अफगानिस्तान में सेना की कार्रवाई की समाप्ति की घोषणा की। जुलाई 2015 में अमेरिका ने उनके नेतृत्व में ईरान को परमाणु कार्यक्रमों की चरणबद्ध समाप्ति के लिए राजी कर उस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने का समझौता किया। इसी महीने के आखिरी दिनों में ओबामा ने क्यूबा के साथ 50 साल पुराने बिगड़े रिश्तों को बहाल किया। कुल मिलाकर बराक ओबामा एक सफल राष्ट्रपति रहे। जब 2008 में ओबामा पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे तो उसे इतिहास की सबसे बड़ी खाई पाटने वाली घटना के रूप में देखा गया थाöक्योकि पहली बार एक अश्वेत अमेरिका का राष्ट्रपति बनाöऔर जब वे लगातार दो कार्यकाल पूरा कर राष्ट्रपति पद छोड़ने जा रहे हैं तो अमेरिका में लोकतांत्रिक मूल्यों तथा सामाजिक सरोकारों को लेकर चिन्ता छाई हुई है। इसलिए ओबामा ने पद छोड़ने से 10 दिन पहले दिए अपने विदाई भाषण में उचित ही उन चिन्ताओं को सामने रखा, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता तथा सामाजिक सौहार्द को अमेरिका की पहचान बताया और अपने उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रंप को नसीहत दी कि अमेरिकी मुस्लिमों समेत देश के सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा करना हमारा दायित्व है, अमेरिकी मुस्लिम भी उतने ही देशभक्त हैं जितने अन्य अमेरिकी। बराक ओबामा भारत के दोस्त हैं। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छी दोस्ती व कैमिस्ट्री रही। अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में उनके कट्टर रवैये की चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि उनके राष्ट्रपति बनने पर विश्व में हिंसा के हालात बनेंगे। उनकी तुलना में डेमोक्रेटिक पार्टी (ओबामा) का शासन बेहतर बताया गया था। पर ताजा आंकड़े तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार ओबामा के शासन में अमेरिका बेहद आक्रामक रहा है। 2016 में उनके शासन में विभिन्न देशों में 26,171 बम गिराए गए। यह आंकड़ा पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल से 130 प्रतिशत अधिक है। सबसे अधिक हमले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, लीबिया, यमन, सोमालिया, इराक और सीरिया में किए गए। इन देशों में तो गृहयुद्ध के हालात हैं। इस समय 138 देशों में अमेरिकी सेनाएं मौजूद हैं। पाकिस्तान, यमन, सोमालिया, लीबिया में पिछले सात सालों में 600 नागरिक इन अमेरिकी हमलों में मारे गए। दुनिया में हथियार आपूर्ति में भी अमेरिका 31 प्रतिशत की हिस्सेदारी से अव्वल नम्बर पर है। निवर्तमान राष्ट्रपति और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के बीच के फर्क ने ओबामा के कार्यकाल को और प्रशंसनीय बना दिया है अन्यथा बराक ओबामा का कार्यकाल मिश्रित ही माना जाएगा। खैर, अलविदा बराक ओबामा।

-अनिल नरेन्द्र

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