Tuesday, 10 January 2017

अखिलेश कांग्रेस से गठबंधन करने पर मजबूर हो सकते हैं

यूपी में चुनाव से ऐन पहले समाजवादी पार्टी में रार चरम पर पहुंच गई है। पिता-पुत्र का यह घमासान अगर खत्म हो जाए और समझौता हो जाए (जिसकी संभावनाएं दिन-प्रतिदिन घटती जा रही हैं) तो और बात है नहीं तो पार्टी दो धड़ों में बंटती नजर आ रही है। अब सवाल यह है कि क्या अखिलेश और मुलायम अलग-अलग लड़ेंगे। यदि ऐसा होता है तो किसका पलड़ा भारी होगा? सी वोटर के ताजा सर्वे पोल के अनुसार सभी आयुवर्ग, क्षेत्र और ज]ित के अधिकतर सपा समर्थक अखिलेश यादव खेमे के साथ हैं मगर सत्ता की दौड़ में बने रहने के लिए अखिलेश को कांग्रेस का साथ भी जरूरी होगा। अगर कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के साथ अखिलेश यादव गुट का गठबंधन होता है तो अब भी वह चुनाव जीतकर सबको चौंका सकते हैं। इस पारिवारिक विवाद ने मुलायम सिंह यादव को बहुत कमजोर कर दिया है। उनके पारंपरिक वोटरों ने भी संकट की इस घड़ी में उनका साथ छोड़कर अखिलेश का दामन पकड़ लिया है। ताजा सर्वे में अखिलेश समर्थित सपा के पाले में 24.9 प्रतिशत मतदाता हैं और मुलायम समर्थित सपा को 3.4 प्रतिशत लोगों का ही साथ मिल सकता है। सर्वे में कांग्रेस को 5.8 प्रतिशत लोगों का साथ मिला है। बाकी दलों की बात करें तो सर्वे में भाजपा को 30.2 प्रतिशत, बसपा को 24.2 प्रतिशत ने समर्थन दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा को 22.4 प्रतिशत वोट मिला था और कांग्रेस को 7.5 प्रतिशत वोट। इन दोनों को मिलाकर 30 प्रतिशत वोट मिला था और अगर यही ट्रेंड रहा तो गठबंधन चुनाव जीत सकता है। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं और पूरे विवाद से सबसे ज्यादा फायदा उनको ही हुआ है। यादव परिवार के विवाद से दूसरे दलों के वोट में कोई खास बढ़ोतरी की संभावनाएं नहीं दिख रही हैं। लेकिन एसपी में दो धड़े होने और पांच प्रतिशत वोट बंटने से वह दूसरे नम्बर पर आ गई है। इस प्रकरण से एसपी के अनुमानित वोट बंटने से अखिलेश गुट भाजपा से दूसरे नम्बर पर आ जाता है। लेकिन कांग्रेस और आरएलडी के साथ आने से गठबंधन पूरे राज्य में सबसे अधिक वोट ले सकता है। सर्वे के अनुसार एसपी का वोट कांग्रेस में शिफ्ट हो जाएगा लेकिन कांग्रेस का वोट एसपी को जाएगा, इसमें थोड़ा संदेह है क्योकि सर्वे के अनुसार एसपी के गैर-यादव और मुस्लिम वोटरों ने संकेत दिया है कि विवाद के बाद दूसरे दल (बसपा) को वोट देने के बारे में भी वह सोच सकते हैं। मुस्लिमों के 18 प्रतिशत के करीब वोट हैं और इनको यह फैसला करना है कि भाजपा को कौन हरा सकता है? सपा-कांग्रेस गठबंधन या फिर बहुजन समाज पार्टी?

-अनिल नरेन्द्र

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