Friday 20 January 2017

अमेरिका में आठ साल बाद बदलती सत्ता की धुरी

70 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति 20 जनवरी को शपथ लेंगे। अमेरिका में आठ साल के बाद सत्ता की धुरी बदलेगी। दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क की कमान डेमोक्रेट राष्ट्रपति बराक ओबामा से रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में आ जाएगी। इससे अमेरिकी नीति के साथ पूरी दुनिया में शक्ति संतुलन भी बदल सकता है। डोनाल्ड ट्रंप के एक निकट सहयोगी ने दो दिन पहले कहा कि व्हाइट हाउस में दाखिल होने के पहले दिन ही ट्रंप वर्तमान राष्ट्रपति ओबामा के उन कई कार्यकारी फैसलों को पलट देंगे जिनके बारे में उनको लगता है कि इनसे आर्थिक प्रगति और रोजगार दोनों प्रभावित हुए हैं। यह घोषणा ट्रंप के होने वाले व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने एक टीवी कार्यक्रम में की। उन्होंने कहा कि ट्रंप तत्काल उन कई कदमों को निरस्त करेंगे जिन्हें ओबामा प्रशासन की ओर से बीते आठ महीने में उठाया गया है और जिनके कारण अमेरिका का आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन बाधित हुआ है। उन्होंने बहरहाल यह स्पष्ट नहीं किया कि ओबामा के किन-किन कार्यकारी कदमों को ट्रंप निरस्त करेंगे। घरेलू मामलों के साथ-साथ ट्रंप की विदेश नीति पर भी नजरें लगी हुई हैं। यूक्रेन के मुद्दे पर रूस-अमेरिका में शुरू हुई रार 2016 में सीरिया और अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर और बढ़ी, पर पुतिन के प्रति ट्रंप के दोस्ताना रवैये से दोनों देशों में तनाव घटने के आसार हैं। सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के वफादार सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच सालों से चल रहे गृहयुद्ध के खात्मे की उम्मीद की जा रही है। दोनों पक्ष संघर्षविराम की घोषणा पर वार्ता को राजी हो गए हैं। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने की भारत की कोशिशें रंग ला सकती हैं। सुरक्षा परिषद में सुधार और आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा को लेकर उसकी मुहिम भी सफल हो सकती है। ट्रंप के लिए अमेरिका की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में सही तरीके से तालमेल बिठाना कड़ी चुनौती हो सकती है। हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख जॉन बेनन ने ट्रंप को चेतावनी दी है कि उन्हें अपनी टिप्पणियों पर नियंत्रण रखना होगा और रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के प्रति सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने जिस प्रकार दुनिया को संदेश दिया है उससे लगता है कि उन्हें अपने देश की खुफिया एजेंसी पर ही भरोसा नहीं है। चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने बहुत-सी बातें कीं पर यह जरूरी नहीं कि वह उन पर अमल करें। अब जब वह राष्ट्रपति बन जाएंगे तो सोबर हो जाएंगे और उम्मीद की जाती है कि वह नपी-तुली बातें ही करेंगे। श्री ट्रंप को अमेरिका के राष्ट्रपति पद संभालने पर बधाई।

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