Monday, 6 February 2017

मतदाता को पटाने के लिए घूस, वह भी सरकारी खजाने से

इस समय देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। चुनाव प्रचार और मतदाता को पटाने का काम चरम पर है। ऐसे समय में इन दलों व नेताओं को पब्लिक की याद आना स्वाभाविक ही है। सियासी पार्टियां मतदाता की तकदीर बदलने का वादा कर रही हैं, तरह-तरह के घोषणा पत्रों में प्रलोभन देने का वादा कर रही है। अपने घोषणा पत्र में मुफ्त पेट्रोल, चीनी, घी, लैपटॉप, प्रैशर कूकर देने तक का वादा कर रही है। सरकार बनने के बाद ये पार्टियां अपना वादा कितना पूरा करेंगी यह तो वक्त ही बताएगा। फ्री में खाने, कलर टीवी व सिलाई मशीन बांटने का ट्रेंड दक्षिण भारत की राजनीति से शुरू हुआ है। आइए इन चुनावों में किए गए कुछ वादों को देखते हैं...यूपी में समाजवादी पार्टी ने चुनाव जीतने पर लोगों को फ्री स्मार्टफोन देने का वादा किया है। बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मुताबिक इसके लिए करीब 1.5 करोड़ लोग रजिस्ट्रेशन भी करा चुके हैं। पिछले चुनाव में सपा सरकार ने छात्रों को फ्री लैपटॉप का वादा किया था। सरकार बनने के एक साल तक बांटा भी। फिर पैर वापस खींच लिए। उत्तर प्रदेश में अपना 15 साल का वनवास खत्म करने के लिए भाजपा ने वादा किया है कि वह सत्ता में आई तो जहां लघु एवं सीमांत किसानों के सभी फसली ऋण माफ होंगे। वहीं उन्हें शून्य प्रतिशत के ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। युवा-युवाओं को लुभाने की खातिर लैपटॉप के साथ ही एक जीबी डाटा सालभर तक मुफ्त देगी। गोवा में छात्रों को हर माह पांच लीटर पेट्रोल मुफ्त देगी कांग्रेस। बिजली-पानी को मुफ्त दिए जाने के बाद अब बारी पेट्रोल की है। इसके अलावा छात्रों को फ्री कोचिंग देने की बात भी कही गई है। गोवा में कांग्रेस और आप दोनों ने कैसिनो बंद करने की बात कही है। आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब में वादा किया कि गांवों और शहरों में फ्री वाईफाई सुविधा देगी। ऐसा ही वादा आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भी किया था। आम आदमी पार्टी ने पंजाब की जनता से ऐसे कानून का वादा किया जिसके तहत ड्रग डीलरों के लिए मरते दम तक कारावास सुनिश्चित किया जा सके। अकाली दल और भाजपा ने पंजाब के गरीब तबके को 25 रुपए किलो के हिसाब से दो किलो घी और 10 रुपए किलो के हिसाब से पांच किलो शक्कर का वादा किया है। अकाली दल ने 10वीं पास लड़कियों को सिलाई मशीन देने का वादा किया है। दक्षिण भारत में सियासी पार्टी गाय और बकरी तक देने का वादा करते आए हैं। तमिलनाडु का करीब पांच प्रतिशत बजट ऐसी योजनाओं पर ही खर्च होता है। भले ही वह सफल न हुआ हो, लेकिन निर्वाचन आयोग पिछले काफी समय से कोशिश कर रहा है कि चुनाव साफ-सुथरे हों। बावजूद इसके वोट हासिल करने के लिए नए-नए तरीकों से मतदाता को घूस देने की कोशिशें चलती रहती हैं। अब सियासी दलों ने तरीका बदल लिया है। वे अब चुनाव घोषणा पत्र में इस तरह के वादे करते हैं और यह घूस भी अपनी जेब से नहीं बल्कि सरकारी खजाने से दी जाती है।

-अनिल नरेन्द्र

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