Wednesday 15 February 2017

राउंड वन पूरा, अब नजरें दूसरे राउंड पर

यूपी के विधानसभा चुनाव के दूसरे दौर में बुधवार को 66 विधानसभा सीटों पर वोट पड़ेंगे। चुनाव प्रचार थम चुका है। इस दौर में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, सम्भल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत, शाहजहांपुर और बदायूं सीटों पर वोट पड़ेंगे। यहां मुस्लिम वोटों का विशेष महत्व है। पहले दौर के मतदान के बाद अब सभी दलों का ध्यान इस दौर पर लग गया है। वैसे तो इस राउंड में 67 सीटों पर चुनाव होना था पर एक सीट पर सपा उम्मीदवार का निधन होने की वजह से चुनाव स्थगित कर दिया गया है। पहले दौर में सभी इलाकों में 2012 की तुलना में ज्यादा मतदान हुआ है। इस ज्यादा मतदान का असर किस पर कितना पड़ सकता है, इसका आकलन किया जा रहा है। जाट समुदाय, दलित और मुस्लिम सभी की बेल्ट में 8 से लेकर 14 प्रतिशत ज्यादा मतदान की खबरें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ तथा मोदी के सटीक धुआंधार भाषणों से उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है। यही वजह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कह रहे हैं कि यूपी चुनाव के पहले दो चरणों में पार्टी 140 सीटों में से 90 से अधिक सीटें जीत रही है। जहां तक पहले चरण में मतदाताओं के रुझान की बात है तो भाजपा 50 से अधिक सीटें जीत रही है। अमित शाह के अनुसार पहले दो चरणों में भाजपा का मुख्य मुकाबला बहुजन समाज पार्टी से रहा जबकि आगे के चरणों में मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन से रहना है। वहीं राष्ट्रीय लोकदल प्रदेशाध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने दावा किया है कि पहले दौर के मतदान में भाजपा का सूपड़ा साफ होने के साथ ही लोकदल की लहर नजर आ रही है। भाजपा की नई व्याख्या करते हुए अजीत सिंह ने भारतीय जुमला पार्टी बताया। वहीं बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मीडिया की सर्वे रिपोर्टों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि आप इन सबके झांसे में न आएं। यह एक सुनियोजित साजिश है। सुश्री मायावती ने दावा किया कि आप लोग निश्चिंत रहें, विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में बसपा की ही सरकार बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि स्मारक बनाने के कार्यों को बसपा विगत कार्यकाल में बखूबी अंजाम दे चुकी है। इस बार सिर्फ जनता के विकास से जुड़े कार्यों पर ही ध्यान दिया जाएगा। मायावती ने कहा कि अमित शाह असल में बसपा को मिलने वाली सीटें बता रहे थे और उनके चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी। पहले दौर के मतदान के आधार पर सपा और कांग्रेस की तरफ से कोई बयान खुलकर नहीं कर रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पहले चरण के मतदान में मुस्लिमों की पहली पसंद सपा-कांग्रेस गठबंधन रहा है। दूसरे दलों के मुस्लिम प्रत्याशियों के होने के बावजूद उनका झुकाव सपा या कांग्रेस की तरफ रहा। सपा के पक्ष में मुस्लिमों के रुझान से भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण में आसानी रही। सपा-बसपा के बीच कई सीटों पर मुसलमान वोटों का बंटवारा भी भाजपा के लिए मुफीद हो सकता है। यही वजह है कि जाटों की नाराजगी के बावजूद भाजपा पश्चिमी यूपी की अधिकतर सीटों पर मुख्य मुकाबले में खड़ी दिख रही है। कहीं सपा तो कहीं बसपा उससे मुकाबिल है। पहले चरण के मतदान में अब तक के सारे रिकार्ड टूटे तो इसका प्रमुख कारण युवा मतदाताओं का उत्साह माना जा रहा है। हालांकि बढ़े मत प्रतिशत को 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह किसी दल के क्लीन स्वीप वाली स्थिति का संकेत नहीं माना जा रहा है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि पहले चरण की 73 सीटों पर त्रिकोणीय से लेकर चतुष्कोणीय मुकाबले हुए हैं। पश्चिमी यूपी की सियासत पर नजर रखने वाले बताते हैं कि पहले चरण में लोकसभा चुनाव जैसा ध्रुवीकरण नहीं हुआ। जिन सीटों पर ध्रुवीकरण हुआ भी वह किसी एक दल को नहीं बल्कि भाजपा को हराने की स्थिति में नजर आने वाले प्रत्याशी के पक्ष में हुआ है। इनमें बसपा के साथ-साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन भी पसंद बनी। कई सीटों पर मुस्लिम वोट बंटे भी हैं। इसी तरह जाटों का वोट राष्ट्रीय लोकदल को तो गया ही है, भाजपा व अन्य दलों के पक्ष में भी गया है। जागरुकता के चलते ही वैसा ध्रुवीकरण नहीं हुआ जैसा लोग उम्मीद कर रहे थे। पहले चरण में बसपा ने बेहतर वापसी की है। भाजपा दूसरे नम्बर पर रही और सपा-कांग्रेस गठबंधन तीसरे नम्बर पर बताई जा रही है। बढ़े मतदान का प्रमुख कारण युवा रहे। युवा मतदाताओं ने पुराने जमाने की तरह रोटी-कपड़ा और मकान तक सीमित न रहकर सुनहरे भविष्य व नई दुनिया के सपने देखे हैं। पहले चरण का मतदान ध्रुवीकरण की जगह टैक्टिकल वोटिंग दर्शाती है। जाट का ख्याल न रख पाना भाजपा के लिए बेशक नुकसानदेह रहा हो, लेकिन युवा जाट भाजपा के पक्ष में जाता दिखा। शहरी सीटों पर भाजपा और ग्रामीण इलाकों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन व बसपा को लाभ रहा है। मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के शहरी क्षेत्रों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी हुआ है जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। वहीं सरधना में बसपा व गठबंधन के बीच वोट बंटा, लेकिन जहां बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी कमजोर था, गठबंधन की ओर वोट चला गया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंक्टेश का मानना है कि चुनाव आयोग की क्लोज मॉनिटरिंग सिस्टम, साफ-सुधरी मतदाता सूचियों व मतदाताओं में जागरुकता बढ़ने के कारण ही मतदान प्रतिशत बढ़ा है। मतदाता समझ गए हैं कि उनका वोट कितना कीमती है। अब आयोग कोशिश करेगा कि वोटिंग प्रतिशत और बढ़े।

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