Saturday, 11 February 2017

यूपी में यह फ्लोEिटग वोटर निर्णायक होते हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान (11 फरवरी) होने में महज कुछ ही घंटे बाकी रह गए हैं लेकिन करीब 40 प्रतिशत मतदाता अब भी इस अनिश्चितता से घिरे हैं कि वे किसे वोट दें? एक ताजा सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। इंडिया स्पैंड और फोर्थ लायन टेक्नोलॉजीज के बीते 24 से 31 जनवरी के बीच उत्तर प्रदेश में किए गए लाइव टेलीफोन सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आए हैं। हम इन्हें फ्लोटिंग वोट भी कह सकते हैं। फ्लोटिंग वोटर यानी प्रवाह्यान मतदाता। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह वह जमात है जो चुनाव में जीती बाजी को हराने और हारी बाजी को जिताने की ताकत रखती है। वोट की जंग में यह वह ताकत है जो किसी पार्टी या विचारधारा से संबंध न होने के बाद भी किसी पार्टी या उम्मीदवार की बुनियाद हिलाने और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। सूबे में पिछले चुनावों में हमने देखा है कि 29 से 31 प्रतिशत वोट पाने वाले दल पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते रहे हैं। लेकिन दो-चार प्रतिशत वोटों के घटने-बढ़ने (फ्लोटिंग वोट) से सत्ता का समीकरण बनता है या बिगड़ता है। सीटों की संख्या में बड़ा अंतर आ जाता है। यूपी की अधिकतर सीटों पर बहुकोणीय मुकाबलों में इन मतदाताओं की भूमिका बढ़ जाती है। विश्लेषकों की मानें तो इस विधानसभा चुनाव में भी फ्लोटिंग वोटर अहम भूमिका निभाएंगे। 2007 के चुनाव में मुलायम सरकार के खिलाफ बसपा को पूर्ण बहुत मिला तो 2012 के चुनाव में बसपा को हराकर सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। दोनों ही पार्टियों को 29 से 31 प्रतिशत वोट मिले। दूसरी ओर सत्ता में रही पार्टियां तीन से छह प्रतिशत मतों के घटने से बहुमत से बहुत कम सीटों पर सिमट गई। यूपी में देश के सबसे ज्यादा फ्लोटिंग वोटर हैं। ये वो मतदाता हैं जो दूसरों से प्रभावित होते हैं और इनका अपना कोई एजेंडा नहीं होता। ये बेहतर प्रचार, लुभावने वादे, आकर्षक प्रचारक से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा जिसे जीतते देखते हैं, उसके साथ जाना पसंद करते हैं। 2007, 2012 और 2014 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में फ्लोटिंग वोटर्स की साफ छाप ही है और इन्होंने सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। ये लोग किसी पार्टी या विचारधारा से बंधे नहीं होते। ये परिस्थिति को देखकर ऐसे पार्टी या उम्मीदवार को वोट देते हैं जो उसे पसंद आए। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि दलित, यादव व ब्राह्मण फ्लोटिंग वोटर नहीं हैं। दलित बसपा के साथ, यादव सपा के और ब्राह्मण भाजपा के साथ माने जाते हैं। लेकिन इन बंधे हुए वोटरों में भी सोच-समझ कर वोट करने वाले और दास भाव से किसी पार्टी या विचारधारा से न बंधे रहने वाले दो-तीन प्रतिशत वोटर होते हैं। यही फ्लोटिंग वोटर अंत में निर्णायक साबित होते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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