Tuesday, 28 February 2017

पांचवां चरण तय करेगा सत्ता का मालिक कौन होगा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के चार चरणों में हुए मतदान से 403 सीटों में से 262 सीटों पर चुनाव पूरा हो चुका है। चौथे चरण में 53 सीटों पर 60.37 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2012 से इन सीटों पर दो प्रतिशत ज्यादा था। चार चरणों के बाद पांचवें चरण में आज 27 फरवरी को 11 जिलों की 51 सीटों पर मतदान हो गया। इस चरण में बहराइच जिले की सात, श्रावस्ती की दो, बलरामपुर जिले की चार, गोंडा जिले की सात, सुल्तानपुर जिले की पांच, अमेठी की चार, फैजाबाद की पांच अम्बेडकर नगर की चार, सिद्धार्थ नगर जिले की पांच, बस्ती जिले की पांच और संत कबीर नगर जिले की कुल तीन विधानसभा सीटों पर सोमवार को वोट 57.36 प्रतिशत मत पड़े। उल्लेखनीय है कि अम्बेडकर नगर में आलापुर विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी चन्द्रशेखर कनौजिया के निधन के कारण चुनाव आयोग ने यहां मतदान की तारीख नौ मार्च निर्धारित की है। इसलिए पांचवें चरण में 51 सीटों पर मतदान हुआ। पांचवें चरण की 51 सीटों में दो सीटें ऐसी हैं जिन पर सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ये दोनों सीटें हैंöराहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र की अमेठी व गौरीगंज। इन दोनों सीटों पर राहुल और अखिलेश अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग चुके हैं। हालांकि अन्य सीटों पर गठबंधन चुनाव लड़ रहा है। इस चरण में अखिलेश व राहुल की दोस्ती की भी परीक्षा होगी। सभी की निगाहें इस पर लगी हैं कि गठबंधन अपनी सीटें बरकरार रख पाएगा या नहीं। 2012 में इस चरण में हो रही वोटिंग में 52 सीटों में से 42 सीटों पर सपा-कांग्रेस का कब्जा था। अवध क्षेत्र व पूर्वांचल से अखिलेश सरकार के नौ मंत्रियों और सिद्धार्थ नगर में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होगा। पीएम, सीएम और कांग्रेस उपाध्यक्ष, बसपा प्रमुख समेत तमाम दिग्गजों के दौरों से इस इलाके का चुनावी माहौल पूरा गर्माया हुआ है। अपने गढ़ में सपा को भाजपा और बसपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। यह चरण सपा से झटका खाने के बाद बसपा में शामिल हुए अंसारी बंधुओं का असली इम्तिहान होगा। वैसे तो पूर्वांचल के कई जिलों में मुख्तार अंसारी व अफजल अंसारी का प्रभाव होने की बात कही जा रही है, लेकिन उनके गृह जिले गाजीपुर समेत तीन अन्य जिलों की करीब 28 सीटें ऐसी हैं जहां पर अंसारी बंधुओं का खासा असर माना जाता है। यही वजह है कि अंसारी बंधुओं पर कभी सपा तो कभी बसपा डोरे डालती रही है। इसलिए अब की बार बसपा ने मुसलमानों को साधने के लिए फिर से अंसारी बंधुओं का साथ लिया है। दरअसल पूर्वांचल के करीब दो दर्जन जिलों के मुस्लिम समाज पर अंसारी बंधुओं के प्रभाव को सभी सियासी दल जानते हैं। हालांकि यह पहचान इनकी सियासतदां से अधिक दबंग के तौर पर है, फिर भी राजनीतिक दल इनका सहारा लेकर चुनावी समीकरण को साधते हैं। लोकसभा और विधानसभा के कई चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर अंसारी बंधु भी अपनी कौम पर मजबूत पकड़ रखने का संदेश देते हैं। इसी वजह से सपा और बसपा इनका सहारा लेती रही है। उत्तर प्रदेश का यह पूर्व क्षेत्र यानि पूर्वांचल दशकों से झूठे वादों का दंश झेलता आ रहा है। यहां का युवा बेरोजगारी के मारे दर-दर फिरता है तो किसान खेतों से लागत भर भी नहीं निकाल पाते। पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस इलाके में बिजली-पानी का संकट अभी तक बदस्तूर कायम है। चौबीस घंटे बिजली देने के वादे पर सरकार फेल है। शहरों को छोड़ दिया जाए तो गांवों में बिजली बमुश्किल आठ से 10 घंटे रही है। बड़े उद्योग धंधे के अभाव में पूर्वांचल के किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। युवाओं का पलायन अन्य बड़े शहरों की ओर तेजी से हो रहा है। नेपाल से सटे होने के कारण पूर्वांचल तस्करी व अपराध के लिए मुफीद माना जाता है। हेरोइन, गांजा, चरस व रुपए की तस्करी की बराबर यहां घटनाएं होती रहती हैं। यहां तक नेपाल से ह्यूमन ट्रैफिकिंग भी खूब होता है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस अपराध पर लगाम नहीं लग पा रही है। भारतीय राजनीति की दिशा यदि यूपी के विधानसभा चुनाव के किसी क्षेत्र को जाता है तो वह यह पांचवां चरण ही है। इस बार भी यूपी के विधानसभा चुनाव का पांचवां चरण ही तय करेगा कि कौन पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज होगी। ऐसा माना जाता है कि पांचवें चरण में जिस दल या गठबंधन को भारी जीत मिलती है, सरकार भी उसी दल या गठबंधन की किसी न किसी प्रकार से बनती है। इसके पहले 2012 के चुनाव के पांचवें चरण की 52 सीटों में से 37 सीटें अकेली समाजवादी पार्टी को मिली थीं और सूबे में सरकार भी सपा की ही बनी थी। पांचवें चरण में देश की नजरें फैजाबाद जिले की अयोध्या विधानसभा सीट पर भी हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या सीट शुरू से ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी है। लेकिन 2012 में भाजपा 25405 मतों से सपा से हार गई थी। जहां राहुल गांधी की भी परीक्षा होनी है वहीं बगल के जिले सुल्तानपुर के सांसद उनके चचेरे भाई वरुण गांधी की भी परीक्षा होने जा रही है। हालांकि वरुण गांधी फिलहाल इस चुनाव में क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं आए हैं। सुल्तानपुर जिले से ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजा संजय सिंह की भी प्रतिष्ठा इस चरण से जुड़ी हुई है। उनकी पूर्व रानी और मौजूदा रानी में जबरदस्त संघर्ष चल रहा है। सो जहां भाजपा के लिए इस चरण में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती है वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन की भी अग्नि-परीक्षा है। बहन जी भी यहां पूरा जोर लगा रही हैं और अन्य दलों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। बहरहाल आज मतदान हो गया है। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है?

-अनिल नरेन्द्र

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