Thursday, 23 February 2017

अंतत पाक ने भी माना हाफिज सईद आतंकी है

आखिरकार पाकिस्तान ने पहली बार मुंबई हमलों के साजिशकर्ता लश्कर--तैयबा के सरगना हाफिज सईद को आतंकवादी माना है। पाकिस्तानी अखबार डॉन न्यूज में शुक्रवार को छपी रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि जमात-उद-दावा प्रमुख को आतंकवाद निरोधक कानून (एटीए) की सूची में डाल दिया गया है। खुद पर गुजरी तो थोड़ा होश आया। आतंकी घटनाओं में 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद ही सही पाकिस्तान ने भारत के इस गुनाहगार को आतंकी मान लिया है। उसके चार अन्य साथियों को भी आतंकी सूची में शामिल किए जाने की खबर है। हालांकि पाकिस्तान की इस कार्रवाई को भी उसकी मंशा की बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से कार्रवाई का डर और भारत की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर घेराबंदी के दबाव के रूप में देखा जा रहा है। बहरहाल अब भारत के लिए यह साबित करना आसान है कि किस तरह तमाम आतंकियों को पाकिस्तान पहले बचाता रहा है और फिर दबाव पड़ने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करता है। एटीए में डालने का मतलब साफ है कि ये सभी शख्स किसी न किसी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। लिहाजा पाकिस्तान अब कानूनी तौर पर स्वीकार कर रहा है कि हाफिज सईद आतंकी है। पाकिस्तान के इस कानून के मुताबिक इस सूची में शामिल लोगों की सम्पत्तियां जब्त कर ली जाती हैं, उनके पुराने सभी धंधों की जांच की जाती है, उनके पैसे के हिसाब-किताब की जांच की जाती है, उनके किसी भी बाहरी व्यक्ति से मिलने-जुलने पर रोक लग जाती है। साथ ही उनके खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों की जांच की जाती है। सईद 30 जनवरी 2017 से नजरबंद है, लेकिन पाकिस्तान ने इससे पहले 2008 में भी उसे गिरफ्तार किया था। फर्क यह है कि इस बार जिस कानून के तहत उसका नाम शामिल किया गया है वह पहले से काफी सख्त है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक हाफिज सईद और काजी कासिफ पिछले कुछ समय से कश्मीर मुद्दे पर लगातार न सिर्फ सार्वजनिक रैलियां आयोजित कर रहे थे, बल्कि भारत को खुलेआम सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर मामले पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दे रहे थे। पर पाक आगे सईद को लेकर सख्ती दिखाए या न दिखाए, भारत उसके खिलाफ जो बातें कर रहा था उसे पाकिस्तान सरकार ने भी एक तरह से स्वीकार कर लिया है। अभी तक तो पाकिस्तान हमेशा कहता रहा कि सईद की गतिविधियां पूरी तरह से राहत कार्य व राजनीतिक रैलियों तक सीमित हैं। इससे पाक में फल-फूल रहे इन जेहादी संगठनों पर थोड़ा अंकुश तो जरूर लगेगा।
-अनिल नरेन्द्र


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