Thursday, 1 November 2018

श्रीलंका में इस समय दो-दो पधानमंत्री हैं

पड़ोसी देश श्रीलंका की राजनीतिक स्थिति विस्फोटक बन गई है। वहां सत्ता संघर्ष से न केवल श्रीलंका ही बल्कि पूरा क्षेत्र ही अस्थिर होने का खतरा है। इस समय वहां दो-दो पधानमंत्री हैं। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुकवार को रानिल विकमसिंघे को बर्खास्त कर महिंदा राजपक्षे को पधानमंत्री की शपथ दिला दी। रविवार को राष्ट्रपति ने देश के समक्ष अपने फैसले को सही ठहराने की कोशिश की। वहीं राजपक्षे ने देश में जल्द संसदीय चुनाव करवाने की बात कही है। राजपक्षे को चीन का समर्थक माना जाता है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तो उन्हें बधाई भी दे दी। श्रीलंका के राष्ट्रपति के फैसले को झटका देते हुए संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने रानिल विकमसिंघे को देश के पधानमंत्री के रूप में मान्यता देकर संकट खड़ा कर दिया है। इस तरह इस समय श्रीलंका के दो पधानमंत्री हैं। स्पीकर जयसूर्या ने कहा कि विकमसिंघे को लोकतंत्र मजबूत करने और सुशासन के लिए जनादेश मिला है। स्पीकर के रुख से बर्खास्त पधानमंत्री विकमसिंघे के दावे को ताकत मिली है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा पधानमंत्री रानिल विकमसिंघे को पद से हटाने, संसद को आगामी 16 नवंबर तक स्थगित रखने और महिंदा राजपक्षे को गुपचुप पधानमंत्री पद की शपथ दिलाने जैसे जोड़-तोड़ फैसले लेने से देश में संवैधानिक संकट तो पैदा हुआ ही है। हिंद महासागर के द्वीपीय देश में पैदा हुई इस सियासी अस्थिरता ने भारत समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी चिंतित कर दिया है। हालांकि संसद के स्पीकर ने विकमसिंघे को ही पधानमंत्री बताकर उन्हें थोड़ी ताकत जरूर दी है पर स्थिति तो तब स्पष्ट होगी जब राजपक्षे को अपना बहुमत साबित करने को कहा जाएगा। विकमसिंघे को भारत समर्थक बताया जाता है जबकि कुछ साल पहले तक एक ही पार्टी में रहे सिरिसेना और राजपक्षे की चीन से नजदीकी है। वर्ष 2015 में राजपक्षे को हटाकर ही सिरिसेना राष्ट्रपति बन थे। भारत के पति इन दोनों के रवैये का पता इसी से चलता है कि सिरिसेना ने जहां पिछले दिनें भारत पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। हालांकि बाद में वह इस आरोप से मुकर गए। वहीं राजपक्षे इससे पहले अपनी हार के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। लेकिन श्रीलंका की मौजूदा अस्थिरता का कारण यह नहीं हैöइसके पीछे अपनी पुरानी कटुता भुलाकर सिरिसेना और राजपक्षे का एक साथ देश की सत्ता में रहने की लिप्सा भी हो सकती है। सिरिसेना ने संसद स्थगित इसलिए की है ताकि इस दौरान राजपक्षे जरूरी बहुमत जुटा सकें। हालांकि श्रीलंका के संविधान में किए गए संशोधन के बाद राष्ट्रपति के पास पधानमंत्री को पद से हटाने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा छोटी पार्टियों ने भी विकमसिंघे के समर्थन की बात कही है। श्रीलंका में तेजी से बदले घटनाकमों के दौरान अपनी साख खो चुके सिरिसेना से सिर्प उम्मीद की जा सकती है कि वह संविधान का पालन करेंगे। भारत के लिए एक स्थिर और भारत पति समर्थक सरकार जरूरी है।

-अनिल नरेन्द्र

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