Tuesday, 6 November 2018

पाक समर्थक आतंकियों के निशाने पर अब जम्मू संभाग

जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में प्रदेश भाजपा सचिव अनिल परिहार व उनके बड़े भाई अजीत परिहार की हत्या की घटना चौंकाने वाली है। यह घटना एक साथ कई भयानक संकेत दे रही है। इस आतंकवादी वारदात का आरोप लश्कर--तैयबा पर लगाया गया है। किश्तवाड़ क्षेत्र में पिछले काफी दिनों से कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई थी। यह इसलिए भी खतरनाक है कि इसका मतलब है कि आतंकवादी इस क्षेत्र में भी आ चुके हैं। घाटी में तो इनका तांडव चल ही रहा है अब जम्मू क्षेत्र में भी इनकी मौजूदगी दर्ज हो गई है। इस हमले में मारे गए भाजपा नेता व उनके भाई की हत्या के मामले में दो निजी अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। मामले की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। भाजपा प्रदेश इकाई के सचिव (52) और उनके भाई (55) की हत्या गुरुवार रात उस समय कर दी गई जब वह पुराने डीसी ऑफिस परिसर के बाहर स्टेशनरी की अपनी दुकान को बंद कर घर लौट रहे थे। किश्तवाड़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि पुलिस ने दो निजी सुरक्षा कर्मियों (पीएसओ) ओमप्रकाश और साहिल कुमार को हिरासत में लिया है। उन्होंने बताया कि अनिल परिहार को यह दोनों पीएसओ उनकी सुरक्षा के लिए दिए गए थे, लेकिन हमले के समय वह नेता के साथ नहीं थे। यह हमला आतंकियों ने ही किया है। अब इसके पीछे कौन-सा संगठन है, फिलहाल इसकी कोई प्रमाणित जानकारी नहीं है। शक है कि यह लश्कर ने कराया है पर असल स्थिति तो जांच के बाद ही सामने आएगी। इसके पहले नगर निकायों के चुनावों में पूरे जम्मू संभाग में भारी तादाद में लोगों ने भाग लिया और उसमें भाजपा को काफी सफलता भी मिली है। यह बिल्कुल संभव है कि प्रदेश के एक बड़े नेता का अंत कर वह भाजपा समर्थकों के साथ मतदाताओं व जम्मू की जनता को भी भयभीत करना चाहते हैं। अनिल परिहार इसके पूर्व स्थानीय चुनावों में काफी सक्रिय थे। घाटी में भी पार्टी ने उनको भेजा था। इस कारण भी वह आतंकियों के निशाने पर रहे होंगे। कुछ दिनों पहले ही खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी उनसे मिलने भी आए थे, जिन्होंने बताया कि आतंकी भाजपा नेताओं को निशाना बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। यह सूचना प्रशासन के पास थी तो परिहार या उनके जैसे अन्य नेताओं की सुरक्षा की क्या व्यवस्था की गई? इस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन है इसलिए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति नहीं है। यह हत्या निश्चय ही दुखद है। किन्तु किसी भी स्थिति में आतंकवादियों के इरादे सफल न होने के सारे दावे खोखले साबित हुए हैं। पाकिस्तान और उनके समर्थकों ने साफ कर दिया है कि अब उनके निशाने पर जम्मू भी है।

-अनिल नरेन्द्र

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