Wednesday, 28 November 2018

कारण न गिनाएं, बताएं कि मंदिर कैसे बनेगा

अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बने यह महज चुनावी मुद्दा नहीं है, इससे करोड़ों भारतवासियों की आस्था जुड़ी है। केवल हिन्दू ही नहीं, मुसलमान सहित अन्य धर्म के लोग भी श्रीराम को मानते हैं। अयोध्या के मुसलमान तो इस विवाद से तंग आ चुके हैं और वह कई बार कह चुके हैं कि मंदिर बनाओ और इस क्लेश को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करो। पर सवाल यह है कि मंदिर बनेगा कैसे, कौन इसे बनाएगा? जिनकी दुकानें चल रही हैं वह तो इस मामले को लटकाए रखेंगे? जिन नेताओं को राम मंदिर सिर्प चुनाव के समय याद आता है उनसे इसके समाधान की उम्मीद कम रखनी चाहिए। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में राम लला के दर्शन करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जब भी चुनाव आते हैं तो मंदिर का मुद्दा उठाया जाता है। चुनाव के दौरान सब लोग राम-राम करते हैं और चुनाव के बाद आराम करते हैं। हम कब तक इंतजार करेंगे? हिन्दुओं की भावना से अब खेलना बंद करो। उन्होंने सवाल किया कि राम मंदिर कब बनेगा? उद्धव ने कहा कि सीएम योगी ने कहा थाöमंदिर था, है और रहेगा, लेकिन दुख इस बात का है कि मंदिर दिख नहीं रहा है। अब चुनाव में कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। यह आखिरी सत्र होगा तो मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाओ, मंदिर बनाओ। आरएसएस के सरसंघचालक ने दो टूक कहाöकारण न गिनाएं, सोचो कि मंदिर कैसे बनेगा? कानून के जरिये राम मंदिर निर्माण का दबाव बनाने के मकसद से अयोध्या में आयोजित विहिप की धर्मसभा रविवार को भाषणों के साथ खत्म हो गई। मंदिर निर्माण की तारीख को लेकर सब्र रखने की बातें कही गईं। न कोई बड़ा ऐलान हुआ न प्रस्ताव पारित हुआ। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलवर में एक चुनावी रैली में कहा कि राम मंदिर पर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में खतरनाक खेल, खेल रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या पर लोगों की बातें सुनकर फैसला करना चाहता है, लेकिन कांग्रेस महाभियोग लाकर जजों को डरा रही है। करीब चार घंटे बाद विहिप की हुंकार रैली में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि काम नहीं होने के कारण तो कोई भी बता सकता है। अगर व्यस्तता या समाज की संवेदना नहीं समझने के कारण यह मामला कोर्ट की प्राथमिकता नहीं है तो सरकार सोचे कि मंदिर बनाने के लिए कानून कैसे आ सकता है? जल्द से जल्द यह कानून लागू किया जाए। वहीं उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार रहे या न रहे, मंदिर का निर्माण हर हाल में किया जाएगा। अगर मामला अदालत में ही जाना है तो चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कहें कि भाइयों-बहनों हमें माफ करो। यह भी हमारा चुनावी जुमला था। पांच राज्यों के चुनावों में पहली बार अयोध्या का जिक्र किया, अपनी अलवर की रैली में जहां उन्होंने कहा था कि कांग्रेस न्याय प्रक्रिया में दखल देती है। जब अयोध्या का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था तो कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद ने कहा था कि 2019 तक केस मत चलाओ, क्योंकि 2019 में चुनाव हैं। मोदी ने नाम तो नहीं लिया पर गालिबन उनका इशारा कपिल सिब्बल पर था। जब सुप्रीम कोर्ट के जज अयोध्या जैसे संवेदनशील मसलों में देश को न्याय दिलाने की दिशा में सबको सुनना चाह रहे थे तो कांग्रेस के सांसद और वकील सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों के खिलाफ महाभियोग लाकर उन्हें डरा-धमका रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने दिसम्बर 2017 में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में 2019 लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर मामले की सुनवाई टालने की अपील की थी। सिब्बल ने कहा है कि मंदिर मुद्दे पर जनवरी से लेकर नवम्बर 2018 तक सुनवाई में पेश नहीं हुआ हूं। मोदी इस मुद्दे को सिर्प चुनावी मकसद से उछाल रहे हैं। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक ताजा बयान में कहा कि मंदिर मामले में कोई निर्णय लेने से पहले पार्टी और सरकार जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेगी। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी और सब कुछ ठीक हो जाएगा। शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उद्धव अपने जीवन में पहली बार अयोध्या गए। धर्मसभा के मंच से विवादित जमीन पर अपना दावा करते हुए जमीन बंटवारे का फार्मूला न मानने वाले विहिप के बयान पर पक्षकारों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षकारों ने साफ कहाöविहिप किस हैसियत से जमीन मांग रही है। बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार हाजी महबूब ने पूछा कि विहिप किस हैसियत से जमीन मांग रही है? वह तो पक्षकार भी नहीं हैं। रामजन्म भूमि के पक्षकार निर्मोही अखाड़ा के प्रतिनिधि महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि हम 1885 से ही मुकदमा लड़ रहे हैं। हाई कोर्ट में निर्मोही अखाड़ा, राम लला और सुन्नी वक्फ बोर्ड को बराबर हिस्से के बंटवारे का फैसला किया गया था। राम मंदिर के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट से पूरी जमीन मांगी है। मालिकाना हक हमारा है, विहिप कौन होता है? विहिप सियासत कर रही है। पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि धर्मसभा के बहाने विहिप चुनावी ड्रामा कर रही है। विहिप जमीन मांगने वाले कौन? इनका इतिहास क्या है? भीड़ जुटाकर किसी का हक नहीं ले सकते। वादी नहीं, पार्टी नहीं हैं तो किस हैसियत से जमीन मांग रहे हैं। चुनाव पास आता है तो शिगूफा छोड़ने अयोध्या चले आते हैं। वहीं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि कोई भी राजनीतिक दल कभी भी राम मंदिर नहीं बनवाएंगे। वह मंदिर के नाम पर सियासत करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment